अररिया: पलायन बना युवकों की मजबूरी
गरीबी की कोख से पैदा होने की खता ने मजदूर बना दिया। मजदूरी नहीं मिली तो मजबूरी में काम की तलाश में पलायन करना पड़ा।
पलायन करने की मजबूरी अब दस्तूर बन गया हैं। लेकिन हालत यह कि भरगामा प्रखंड के सुदूरवर्ती हिंगवा, हरिपुर कला, वीरनगर, विषहरिया, अकरथापा, नया भरगामा सहित प्रखंड क्षेत्र के दक्षिणी भागों के आधा दर्जन गांव के अधिकांश लोग रोजी रोटी की तलाश में दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, असम, पंजाब और राजस्थान आदि महानगरों और दूसरे देशों में जाते हैं, लेकिन महानगरों की फैक्ट्रियां भी गरीबों के लिए महफूज नहीं रहीं। फैक्ट्रियों में अक्सर होते हादसे गरीबों की जिंदगी निगल रहे हैं। घर वालों पर विपत्तियों का पहाड़ टूट रहा है।
देश की राजधानी दिल्ली में रविवार को हुए हादसे में भरगामा प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत हिंगवा के दो मजदूरों की मौत हो गई। दो बाल मजदूर जख्मी होकर अस्पतालों में ईलाजरत हैं, जिन दो लोगों की मौत हुई है, उनके परिवार के लोग बदहवास हैं। हादसे में किसी के मांग का सिंदूर मिट गया तो किसी के बुढ़ापे का सहारा छीन गया है। किसी की उम्मीदें आग की लपटों में खाक हो गई तो किसी के जिंदगी जीने का मकसद छीन गया है। गरीबी की मजबूरी ने एक साथ दो परिवारों की खुशियां निगल ली है। हादसा दिल्ली में हुआ है, लेकिन चीत्कार में भरगामा प्रखंड के तमाम गांव डूबे हैं। अब सवाल उठता है कि मृतक दोनों भाई के कुनबे का क्या होगा। क्या दोनों भाई के झोपडी का घर पक्के मकान में तब्दील हो पाएगा। उन बच्चों का क्या होगा जिसे यह नहीं पता कि उसके अब्बा अब कभी लौटकर नहीं आएंगे।
उल्लेखनीय है कि भरगामा प्रखंड के दक्षिणी भाग के एक दर्जन गांव सड़क, शिक्षा, शुद्ध पेयजल समेत अन्य बुनियादी सुविधाओं से कोसों दूर है। अधिकांश लोग बाहरों में मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। वीरनगर, विषहरिया, हिंगवा, नया भरगामा, अकरथापा, बरमोतरा, मझौआ, समेत सुदूरवर्ती आधा दर्जन इस प्रखंड में ऐसे गांव हैं जहां से सीधा सड़क भरगामा प्रखंड मुख्यालय आने के लिए भी नहीं है। लोग अगर बीमार हो जाए तो 20 किमी पर भरगामा अस्पताल व पूर्णिया जिला का बनमनखी अस्पताल जाना पड़ता है।
Source-HINDUSTAN