Araria news : मानव तस्करों का ट्रांजिट रूट बनता जा रहा सीमांचल
Araria news : मानव तस्कर 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की तस्करी कर उन्हें देश के दूसरे हिस्सों में पहुंचा रहे हैं.
अररिया जिला मानव तस्करी से जुड़े मामलों को लेकर एक बार फिर से सुर्खियों में है. गत दिनों एक मां ने महज 50 हजार रुपये की खातिर अपनी बच्ची को मुंबई व मधेपुरा से आये तस्करों को बेच दिया था. हालांकि, एसपी अमित रंजन के निर्देश पर गठित टीम ने चार घंटे के अंदर ही सुपौल जिले के प्रतापगंज बस स्टैंड से बेची गयी सात वर्षीया बच्ची को बरामद कर तीन तस्करों को गिरफ्तार कर लिया था. इस मामले में रानीगंज थाने में प्राथमिकी दर्ज करते हुए पुलिस ने तीनों तस्करों समेत बच्ची की मां को भी न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.
पहले जमाया डेरा, बाद में खरीद लिया बच्ची को
एसपी ने बताया कि हिंगोली मुंबई का रहनेवाला 25 वर्षीय शाह मजहर पिछले एक सप्ताह से सीमांचल के इलाके में डेरा डाले हुए था. पहले उसने मधेपुरा जिले के श्रीनगर थाना क्षेत्र स्थित लक्ष्मीपुर भगवती गांव की 20 वर्षीयाजहाना खातून से शादी की. इसके बाद उसी गांव के मो साहरूल उर्फ सोनू की मदद से रुपये का लालच देकर छतियौना पंचायत से 07 वर्षीया बच्ची को अपने चंगुल में फंसा कर मुंबई ले जाने की फिराक में था. हालांकि पुलिस ने सूचना मिलने के साथ ही सही समय पर सभी को दबोचते हुए उनकी मंशा पर पानी फेर दिया.
मानव तस्कर बड़ी आसानी से यहां पहुंच रहे
सीमांचल का यह इलाका मानव तस्करों के लिए सुरक्षित क्षेत्र बनता जा रहा है. मानव तस्कर बड़ी आसानी से यहां पहुंच रहे हैं. वे 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की तस्करी कर उन्हें देश के दूसरे हिस्सों में पहुंचा रहे हैं. मासूम लोग ऐसे लोगों के झांसे में आ जा रहे हैं. कहीं पढ़ाने के नाम पर बच्चों को अन्य राज्यों में भेजा जा रहा है, तो कहीं बेहतर जीवन का सपना दिखाकर दिल्ली, बेंगलुरू, लखनऊ, गुजरात भेजा जा रहा है. अभिभावकों को चंद रुपये देकर तस्कर उन्हें अपने साथ ले जाते हैं. मानव तस्करों पर नजर रखने लिए कई एनजीओ समेत सरकारी व गैर सरकारी एजेंसियां काम कर रही हैं. रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ-जीआरपी के सहयोग से बच्चों को उतारा जाता है. सीमा पर एसएसबी के साथ प्रयास जुबेनाइल एंड सेंटर अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहा है. बावजूद देश के कई प्रदेशों के मानव तस्कर सीमांचल में अपने स्लीपर सेल के माध्यम से अपने मंसूबे में कामयाब हो रहे हैं.
728 नाबालिग व 45 युवतियां कराये जा चुके हैं मुक्त
सीमांचल क्षेत्र मानव तस्करी का ट्रांजिट रूट बन गया है. पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) ने 2022 से 2023 में जोन के विभिन्न स्टेशनों से 728 नाबालिग व 45 युवतियों को मानव तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया था. इनमें से कुछ मामलों में तो तस्करों की गिरफ्तारी भी हुई है. सिर्फ कटिहार रेल मंडल के कई स्टेशनों से 145 नाबालिग बच्चों व बच्चियों को मुक्त कराया गया. रेलवे सुरक्षा बल ने 2022 के अप्रैल से 2023 के जनवरी तक 09 महीनों में 25 रोहिंग्याओं को भी पकड़ा. इनमें 16 युवतियां व 09 पुरुष हैं. इनमें से कुछ घर से भागे बच्चे व युवतियां भी थे. आरपीएफ लगातार इन पर नजर रख रही है. प्रमुख स्टेशनों पर हेल्प डेस्क भी इस दिशा में काम रहा है.
रोजगार का झांसा देकर कराते हैं जोखिम भरे काम
सीमांचल के जिलों अररिया, किशनगंज, पूर्णिया व कटिहार में मानव तस्करी एक घिनौना सच बन चुकी है. इसका बड़ा कारण गरीबी है. बाढ़ग्रस्त क्षेत्र होने के कारण यहां की खेती-किसानी भी 04 से 05 महीनों तक प्रभावित रहती है. रोजगार की तलाश में घर के पुरुष सदस्य अक्सर पलायन कर जाते हैं और तस्कर इनकी इसी मजबूरी का फायदा उठाते हैं. वे लड़कियों की शादी व 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को रोजगार दिलाने का झांसा देकर उन्हें बड़े शहरों व महानगरों में भेज देते हैं. बाल श्रम के साथ ही इनसे जोखिम भरे काम भी कराये जाते हैं.
प्रयागराज से 93 बच्चे किये गये थे रेस्क्यू
इस वर्ष मई में ही अररिया के 93 बच्चों को मानव तस्करी विरोधी यूनिट ने प्रयागराज स्टेशन से मुक्त कराया था. इन बच्चों को हरियाणा, राजस्थान व दिल्ली के विभिन्न मदरसों में तालीम देने के बहाने ले जाया जा रहा था. मानव तस्करों से बच्चों को मुक्त कराकर इसकी जानकारी प्रयागराज की मानव तस्करी विरोधी यूनिट के प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर देशराज सिंह ने अररिया जिला प्रशासन को दी थी.
नरपतगंज का तस्कर भी 2023 में हो चुका है गिरफ्तार
भारत-नेपाल सीमा के जोगबनी स्थित मुख्य द्वार सीमा के समीप नेपाल भाग में मानव तस्करी के आरोप में दो व्यक्तियों को पकड़ा गया था.पकड़े गये आरोपित नरपतगंज निवासी मो जहांगीर व सुपौल जिला अंतर्गत सिमराही के बाबू साहब थे. झापा जिले से रोजगार की तलाश में विराटनगर आयी एक महिला व एक बालिका को दोनों आरोपित बिक्री करने के उद्देश्य से भारत ले जा रहे थे. तभी साना हाथ नामक संस्था के हाथ वे लग गये थे. नेपाल के झापा जिला निवासी 27 वर्षीया महिला अपनी बहन की 14 वर्षीया बेटी को साथ में लेकर विराटनगर के एक होटल में काम मांग रही थी. उसी समय होटल में मौजूद जहांगीर व बाबू साहब की नजर उन पर पड़ी. इसके बाद इन दोनों ने महिला व बच्ची को भारत में अच्छी नौकरी दिलाने की बात कह एक रात होटल में रख छेड़खानीकी. अगले दिन भारत आने के क्रम में नेपाल के रानी नाका पर मानव तस्करी की रोकथाम के उद्देश्य से काम कर रही एक संस्था के कर्मचारी ने शंका के आधार पर इनसे पूछताछ की, तो मामले का खुलासा हुआ था.
99 बच्चों को अयोध्या से किया गया था रेस्क्यू
पिछले दिनों अररिया व पूर्णिया से बच्चों को एक बस के सहारे अवैध तरीके से सहारनपुर के देवबंद ले जा रहे पांच मौलवी पकड़े गये थे. बच्चों को ये मालूम नहीं था कि उन्हें कहां ले जाया जा रहा है. न ही माता-पिता का सहमति पत्र उनके पास था. हिरासत में लिए गए मौलवी पूछताछ में भ्रामक जानकारी दे रहे थे. जांच में पता चला कि कई बच्चे अनाथ भी हैं. बच्चों की उम्र 09 से 12 वर्ष के बीच थी. राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सक्रियता से मानव तस्करी विरोधी इकाई को सूचना मिलने पर अयोध्या पुलिस व इकाई ने यह कार्रवाई की थी.
2019 में ट्रेन से 28 बच्चों का किया गया था रेस्क्यू
2019 में बरौनी-ग्वालियर एक्सप्रेस ट्रेन से एक मौलवी समेत अररिया निवासी 28 बच्चों को मानव तस्करी की आशंका पर रेलवे पुलिस ने स्थानीय जंक्शन पर उतारा था. अररिया के महलगांव थाना क्षेत्र अंतर्गत इसरवा गांव निवासी मो हासिम पिता मो जाहिर ने बताया था कि वह बच्चों को पढ़ाने के लिए बांदा कलिंदर के मदरसा में ले जा रहा था. मानव तस्करी की आशंका पर रेलवे पुलिस ने बच्चों के माता-पिता को घटना की जानकारी दी थी.
2022 में मुखिया पति समेत तीन किये गये थे गिरफ्तार
2022 में एसएसबी 45वीं बटालियन भीममगरबीओपी को मिली सूचना पर वाहन संख्या बीआर 11 एएक्स 3976 से दो पुरुषों व एक महिला के साथ लड़की को पूछताछ के बाद हिरासत में लिया गया था. एसएसबी के जवानों व अधिकारियों ने उक्त गाड़ी को जब्त कर नाबालिग लड़की व तीनों मानव तस्करों को हिरासत में लेकर भीमनगर ओपी के सुपुर्द कर दिया था.पकड़ा गया आरोपित बसमतिया मुखिया पति नावेद अंसारी पूर्व में गांजा तस्करी करता था. हाल के दिनों में उज्बेकिस्तान से पकड़ी गयी तीन लड़कियों के मामले में भी नावेद अंसारी का सहयोगी पकड़ा गया था.
लड़कियों से करते हैं फर्जी शादी, बाद में कराते हैं अनैतिक कार्य
सीमांचल के चार जिलों में कम उम्र की लड़कियों की शादी कराने के नाम पर तस्करी के मामले सामने आते रहे हैं. ये मानव तस्कर वैसे माता-पिता जो गरीबी के कारण अपनी बेटियों को महज पांच से 50 हजार रुपये में दूल्हे के हाथों बेचने पर मजबूर होते हैं, उनकी लड़कियों की फर्जी शादी कराते हैं. इसके बाद इनसे अनैतिक कार्य कराये जाते हैं. बिहार में दुल्हन की तस्करी आम बात है. खास तौर पर सीमांचल के ग्रामीण इलाकों में जिसमें अररिया, किशनगंज, पूर्णिया व कटिहार जिले शामिल हैं. यहां बार-बार होने वाली विनाशकारी घटनाओं व कमजोर सामाजिक-आर्थिक स्थितियों ने स्थानीय निवासियों को गरीबी के अंतहीन चक्र में डाल दिया है. गरीबी के कारण माता-पिता अपनी बेटियों को पांच-पांच हजार रुपये में दूल्हे को बेच देते हैं. कई बार यह रकम 40 से 50 हजार रुपये तक हो सकती है. एक सर्वे के अनुसार, ट्रैफिकिंग के शिकार बच्चों की संख्या सरकारी आंकड़ों में नहीं के बराबर है. एक संस्था द्वारा कराये गये सर्वे में सीमांचल के चार जिलों से हर साल औसतन 100 नाबालिग बच्चे व बच्चियां ट्रैफिकिंग का शिकार होते हैं. इनमें से कुछ का तो अता-पता ही नहीं चल पाता है.लड़कियों की ट्रैफिकिंग फर्जी शादी व बच्चों से बाल श्रम कराने के लिए की जाती है. बाढ़ व कटाव के समय मानव तस्करों की सक्रियता बढ़ जाती है.
मानव तस्करी का पाकिस्तानी कनेक्शन भी आ चुका है सामने
मानव तस्करी में पाकिस्तानी कनेक्शन वाला व्यक्ति शाहनवाज फारबिसगंज के रामपुर में डेरा बनाये हुआ था. उसे एसपी-डीएसपी के साथ फोटो खिंचवाने का शौक था. मूल रूप से मधेपुरा के बनमनखी का रहनेवाला शाहनवाज आलम फारबिसगंज रामपुर उत्तर में स्थित रेड लाइट एरिया में अपना बसेरा बनाये हुए था. फारबिसगंज में देह व्यापार के धंधे के संचालन में भी उसकी अपरोक्ष रूप से शामिल होने की बात उस समय पुलिस ने बतायी थी. शाहनवाज आलम की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने रेड लाइट एरिया में जाकर उसके बारे में कई लोगों से पूछताछ की थी. गौरतलब है कि पूर्णिया पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय आतंकी कनेक्शन के रूप में अररिया के कुर्साकांटा क्षेत्र के गरैयालैलोखर निवासी मो रहमान, कुर्साकांटा के ही खेसरेल पंचायत निवासी महादेव प्रसाद साह व फारबिसगंज रामपुर के मो शहनवाज आलम पुत्र इनामुल हक को भी गिरफ्तार किया था. पुलिस ने इनके पास से छह मोबाइल फोन, पांच अतिरिक्त मोबाइल सिम कार्ड, आठ डेबिट कार्ड, 96 हजार रुपये व छह बैंक खातों के पासबुक को जब्त किया था. शाहनवाज आलम पिता इनामुल हक का सोशल मीडिया पर एसपी-डीएसपी के साथ व कई अन्य वरीय अधिकारियों के साथ फोटो भी उपलब्ध था. इसको लेकर उस समय काफी सवाल उठने लगे थे. पूर्णिया पुलिस की गिरफ्त में आये शाहनवाज आलम का पाकिस्तान से कनेक्शन माना जा रहा था. वह 2015 में मानव तस्करी समेत कई छोटी-मोटी चोरियों व मारपीट के मामले में जेल जा चुका था. इतना ही नहीं पूर्व में फारबिसगंज के जागरण कल्याण भारती नामक एनजीओ में काम भी कर चुका था.
सीमावर्ती क्षेत्रों में चलायी जा रही है मुहिम
अरिया एसपी अमित रंजन ने कहा कि मानव तस्करी को रोकने के लिए जिले में एंटी ह्यूमन ट्रैफिक सेल भी बनाया गया है. लगातार ऐसी चीजों पर हमलोग नजर रखते हैं. जैसे ही कोई सूचना प्राप्त होती है, उस पर तुरंत संज्ञान लेते हुए त्वरित कार्रवाई भी करते हैं. बीते दिनों रानीगंज थाना क्षेत्र की घटना में सूचना प्राप्त हुई. इसके बाद तुरंत एसआइटी का गठन करते हुए चार घंटे के अंदर बच्ची को सुपौल जिले से बरामद भी कर लिया गया.
जानकारी मिलने पर होती है कार्रवाई, पर जागरूकता जरूरी
असिस्टेंट डायरेक्टर, जिला बाल संरक्षण इकाई शंभु रजक ने बताया कि जिले में मानव तस्करी को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. कई बार डीएम समेत एसएसबी व इनसे जुड़े अन्य अधिकारी के साथ बैठक भी की गयी है. सीमावर्ती क्षेत्रों में इसको लेकर मुहिम भी चलायी जा रही है. संज्ञान में आने पर जिला पुलिस की सहायता लेते हुए त्वरित कार्रवाई भी की जाती है. मानव तस्करी को लेकर आज भी लोगों में जागरूकता की कमी है. इसी जागरूकता को फैलाने के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है. जानकारी मिलने पर कई बच्चों को सकुशल बरामद भी किया गया है.