अररिया के कुर्साकांट में आधा दर्जन गांवों में घर पर ही होता है शत प्रतिशत प्रसव
एक तरफ सरकार व स्वास्थ्य विभाग सुरक्षित प्रसव कराने के नाम करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। विभिन्न अस्पतालों में दवा व अन्य संसाधन मुहैया कराये जा रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच दुखद पहलु यह है कि तीन लाख आबादी वाले कुर्साकांटा प्रखंड के आधा दर्जन से अधिक गांव-टोले व मोहल्ले के लोग अपने घर पर ही प्रसव करा रहे हैं।
इससे जच्चा-बच्चा को हमेशा जान का खतरा बना रहता है। इसका खुलासा खुद स्वास्थ्य विभाग ने किया है। स्वास्थ्य विभाग ने स्वीकार किया कि संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के बावजूद 30 प्रतिशत से अधिक महिलाएं घर पर ही अपने बच्चों को जन्म देती है। हालांकि अच्छी बात यह है कि अब स्वास्थ्य विभाग अब प्रखंड के ऐसे गांव, टोले व मोहल्ले को चिह्नित कर वहां जागरूकता अभियान शुरू की है। ग्रामीणों व गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पताल आकर प्रसव कराने की अपील कर रहे हैं। उन्हें यह समझाया जा रहा है कि सरकारी अस्पताल में न केवल प्रशिक्षक डॉक्टर व एएनएम है बल्कि इमरजेंसी दवा भी है। साथ ही उन्हें प्रोत्साहन के रूप में राशि भी मिलेगी। खाने-पीने की भी सुविधा।