अवैध अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर अधिकारी मेहरबान
जिलेभर में बिना पीएनडीटी प्रमाण पत्र के चल रहे दर्जनों अल्ट्रासाउंड सेंटर पर अधिकारी मेहरबान हैं। शहर से लेकर ग्रामीण बाजारों तक बेरोकटोक चल अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर कार्रवाई तो दूर अधिकारी उनके कागजातों के जांच की भी जहमत नहीं उठा रहे हैं। नतीजतन प्रतिदिन सैकड़ों मरीज लूट रहे हैं।
दिलचस्प तो यह कि स्वास्थ्य अधिकारियों के नाक के नीचे चल इन सेंटरों में न सिर्फ गर्भवती महिलाओं से मनमाफिक मोटी रकम वसूली जाती बल्कि उनके जान से भी खिलवाड़ किया जाता है। कहीं अप्रशिक्षित स्टाफ तो कहीं दूसरे लड़के जांच कर रिपोर्ट तैयार करते हैं। मगर रिपोर्ट पर किसी बाहरी डॉक्टर का स्केन हस्ताक्षर रहता है। डॉक्टर भी मानतें हैं कि संदेह होने पर उन्हें बार बार जांच कराना पड़ता है। कई सेंटरों में तो मोटी रकम लेकर चोरी छिपे भू्रण जांच का भी खेल चल रहा है। लेकिन यह सब जानते हुए अधिकारी चुप्पी साध बैठे हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी
सिविल सर्जन डा. सुरेश प्रसाद सिन्हा व एसीएमओ डा. एमपी गुप्ता ने बताया कि अवैध जांच घरों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है। ऐसे सेंटरों को चिन्हित कर शील करने की कार्रवाई की जाएगी। ऐसे संचालक किसी भी सूरत में बख्शे नहीं जाएंगे। चाहे अधिकारी हो या बाहरी संचालक अवैध पाये जानेवाले पर कार्रवाई तय है। सरकारी अस्पतालों में भी अल्ट्रासाउंड सेंटर शुरू कराने के लिए पहल की जा रही है।
सदर अस्पताल में करीब डेढ़ साल से अल्ट्रासाउंड सेवा ठप, मरीज बेहाल
अररिया सदर अस्पताल में करीब डेढ़ साल से अल्ट्रासाउंड सेवा ठप है। अस्पताल आनेवाली गर्भवती महिलाओं को अल्ट्रासाउंड कराने में भारी परेशानी होती है। मजबूरन महिलाओं को निजी जांच घरों पर निर्भर रहना पड़ता है। अस्पताल प्रशासन की मानें तो यहां रोजाना करीब तीन दर्जन से अधिक गर्भवती को अल्ट्रासाउंड कराने की जरूरत पड़ती है, जिसे निजी जांच घरों में भेजा जाता है। यहां हर माह अमूमन करीब डेढ़ हजार डिलिवरी होती है।
स्रोत-हिन्दुस्तान