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अररिया: पंचमी की मिट्टी दफनाने तक मातम मनातीं रही महिलाएं

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अररिया: पंचमी की मिट्टी दफनाने तक मातम मनातीं रही महिलाएं

करबल्ला के मैदान पर पंचमी की मिट्टी दफनाने तक बंद कमरे में लहुलूहान होकर मातम मनाती रही मीर कचहरी की महिलायें। धर्म का ऐसा नजारा जिसने मानवता को झकझोर दिया।

शिया समुदाय के युवकों के सीने पर बह रही खून की धार को देख बड़ी संख्या में लोग भाव विह्वल हो उठे। मंगलवार को मीर कचहरी के ईमामबाड़ा से निकले ताजिये के साथ धर्मप्रेमियों का जत्था जब तक करबल्ला के मैदान पर पंचमी की मिट्टी नही दफनाई तब तक ईमामबाड़ा की महिलायें मातम मनाती रही। ताजिये के साथ निकले युवको का सब्र मीर कचहरी से चलने के बाद ट्रेनिंग स्कूल तक आते-आते टूट गया तथा ब्लेड एवं चाकूओं से अपने-अपने सीने को गोंद डाला। शहर आते-आते युवकों का सीना लहुलहान था और लोग इन युवकों के अदम्य साहस को सलाम कर रहे थे। जानकार बताते हैं यू तो चांद के रोज से ही ईमामबाड़ा का नजारा गमगीन रहता है मगर दसवीं को इसका सब्र टूट जाता है। तमाम आडंबरो से परहेज महिलाओं का यह मातम धर्म आस्था का प्रतीक बन जाता है। लहुलूहान युवकों की माने तो उन्हें मिलने वाली अदृश्य ताकत के कारण ही वह अपनी जान तक की परवाह नहीं करते। ये लोग मातम में इस कदर डूब जाते है कि अपने शरीर को कष्ट मे डालकर ही इन्हें सकून मिलता है।

पुख्ता सुरक्षा के बीच प्रशासन ने ली राहत की सांस: मंगलवार को शहर मे निकली ताजिये के जुलूस के शांतिपूर्ण समापण के बाद आखिरकार प्रशासन ने ली राहत की संास। मुहर्रम के ताजिया जुलूस को लेकर प्रशासन के द्वारा व्यापक इंत्तेजाम किया गया था। चप्पे चप्पे पर पुलिस प्रशासन को तैनात किया गया था। एक तहफ जहां अररिया के डीएम बैद्यनाथ यादव एवं एसपी धुरत सायली सांवलाराम पल पल की जानकारी ले रहे थे वही फारबिसगंज एसडीओ रवि प्रकाश और डीएसपी मनोज कुमार पुरे जुलूस का मोनेटरिंग कर रहे थे। पूरे अनुमंडल में जहां 117 जगहो पर दंडाधिकारी और पुलिस पदाधिकारियो की तैनाती की गयी थी वहीं सिर्फ फारबिसगंज शहर में 31 जगहो पर दंडाधिकारी और पुलिस पदाधिकारी की तैनाती की गयी थी। इसके अलावा दो दर्जन दंडाधिकारी और पुलिस पदाधिकारियो को रिजर्व रखा गया था। 400 सशस्त्र वलो के अलावा महिला पुलिस,रैफ, दंगा निराधक दस्ता, एसएसबी जवानों की तैनाती की गयी थी। हलांकि प्रशासन और ताजिये के अखाड़ो के बीच सामंजस्य का साफ साफ नजारा देखा जा सकता था बाबजूद कि प्रशासन किसी भी परिस्थिति से निपटने के तैयारी मे थी।

स्रोत-हिन्दुस्तान

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