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अररिया के नरपतगंज में सत्संग और ध्यान से दूर हो जाते हैं सारे दुख: परमानंद बाबा

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अररिया के नरपतगंज में सत्संग और ध्यान से दूर हो जाते हैं सारे दुख: परमानंद बाबा

नरपतगंज प्रखंड क्षेत्र के दरगाहीगंज पंचायत स्थित मध्य विद्यालय परिसर में विगत सात दिनों से चल रहे ध्यान साधना शिविर का भव्य समापन रविवार को हो गया।

अंतिम दिन सत्संग सुनने के लिए आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। भागलपुर कुप्पाघाट के संत स्वामी परमानंद बाबा ने अपने प्रवचन में कहा कि मानव शरीर ईश्वर भजन के लिये मिला है। क्योंकि मानव जीवन दुर्लभ है। इसलिये ईश्वर की भक्ति और भजन हर मनुष्य को करना चाहिये ताकि मोक्ष की प्राप्ति हो सके। इसके लिये मांस मदिरा, व्यभिचार और हिंसा से लोगों को दूर रहना चाहिये। अपने प्रवचन में ध्यान, योग की महत्ता पर विस्तार से चर्चा की।

गुरु के सहयोग से उनके बताए मार्ग पर चलकर ही आत्मा-परमात्मा को समझा जा सकता है। ध्यान योग से सारा संकट दूर हो जाता है। ध्यान के समय एकाग्र होकर मन को स्थिर करना चाहिए। इसके बाद उन्होंने भक्तों को समझाया कि परमात्मा का ध्यान करने वाला सारे दु:खों से मुक्त हो जाते हैं। सत्संग में परमानंद बाबा समेत श्री ब्रह्मचारी बाबा, कमलेश्वरीबाबा, जयनंदन बाबा, देवनारायण बाबा आदि ने भी प्रवचन दिए। सात दिनों तक हुए इस सत्संग को लेकर पूरे क्षेत्र का माहौल भक्तिमय रहा।

आसपास के संतों के आगमन से सत्संग स्थल पर संतों का ताता लगा रहा। आयोजकों ने भव्य पंडाल एवं श्रद्धालुओं के लिए शुद्ध पेयजल एवं भंडारा का आयोजन किया था। सत्संग को सफल बनाने स्थानीय मुखिया कृष्णदेव यादव, भाजपा नेता जयप्रकाश यादव, महेश्वरी यादव, जगदीश यादव, खगेंद्र कुमार यादव, योगेंद्र यादव समेत स्थानीय युवकों की टोली सत्संग को सफल बनाने में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे।

34 वर्षों से लगता है ध्यान शिविर: नरपतगंज के मध्य विद्यालय दरगाहीगंज परिसर में विगत 34 वर्षों से ध्यान साधना शिविर का आयोजन किया जाता है। ध्यान शिविर में भागलपुर कुप्पाघाट समेत आसपास के संत शिरकत करते हैं। एवं सातों दिन योग ध्यान साधना समेत प्रवचन किया जाता है। इसमें आसपास के क्षेत्र से बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। सात दिन अनवरत भंडारा का आयोजन किया जाता है। भंडारा की खास बात यह है कि आसपास के गांव से प्रत्येक परिवार से खाना बनकर भंडारा में आता है और उसे प्रसाद के रूप में लोग ग्रहण करते हैं।

स्रोत-हिन्दुस्तान

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