अररिया जिले की आज बाढ़ व सुखाड़ के रूप में पहचान
कभी समृद्धि की पर्याय रही अररिया जिले की आज बाढ़ व सुखाड़ के रूप में पहचान बन गई है। स्थिति यह है कि अब हर साल यहां बाढ़ तबाही मचाती है। करोड़ों की संपत्ति बर्बाद होती है।
हजारों एकड़ में लगी फसलें नष्ट हो जाती है। वहीं गर्मी आते ही भू-जलस्तर नीचे चले जाने के कारण खेतों में सिंचाई व पेयजल आपूर्ति में परेशानी शुरू हो जाती है। आज स्थिति यह है कि जिले में जहां पुराने प्राकृतिक जलाशय समाप्त हो गए वहीं गाद व जमा सिल्ट जमा होने के कारण नदियों अपनी धारा का रुख बदल दिया है। हजारों एकड़ भूमि बंजर होने के कगार पर है। मुख्य नदियां सुखती जा रही है। गाद व सिल्ट जमा होने के कारण सीता धार,बुढ़ कोसी, लचहा, बिलेनिया, कजरा, कमताहा, फरियानी, काली कोसी, गेरूआ, कमला, नितिया, चक्कर, बरजान, पेमा जैसी नदियां या तो विलुप्त हो गई या विलुप्त होने के कगार पर हैं। आज जल संरक्षण वक्त की जरूरत बन गयी है।
HINDUSTAAN