बढ़ते वाहनों से वायु प्रदूषण की समस्या गंभीर
शहर में दिन प्रतिदिन वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है। अन्य प्रदूषणों की तुलना में वायु प्रदूषण की समस्या तेज गति से बढ़ रहा है। ठोस रणनीति के अभाव में शहर वायु प्रदूषण की समस्या से अधिक विकट स्थिति में पहुंच गया है।
श्वास संबंधित रोग, चर्म रोग और फेफड़ा से संबंधित रोग के शिकार रोगियों की संख्या निजी क्लिनिकों और अस्पतालों में बढ़ती जा रही है। शहर के जाने माने पर्यावरणविद् प्रो. टीएन तारक का कहना है कि वायु प्रदूषण जिस रफ्तार से बढ़ने की सूचना मौसम विभाग के वैज्ञानिक से मिल रही है वह काफी चिंता करने वाली बात है। हालांकि स्थिति अभी उतनी भयाभय नहीं हुई है अभी केवल अप्रत्यक्ष रूप से परेशानी हो रही है। परंतु जिला प्रशासन, निगम प्रशासन और जिला परिवहन विभाग के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों में सांसद, विधायक, विधान परिषद समय रहते वायु प्रदूषण को लेकर ठोस रणनीति तय नहीं करते हैं तो 2 से 3 साल बाद शहर की हवा में सांस लेने में प्रत्यक्ष रूप से परेशानी होने लगेगी। उन्होंने बताया कि वायु प्रदूषण का स्तर 2.5 पीपीएम सहनीय रहता है। यह स्तर लोगों को जीवन यापन करने में ज्यादा परेशान नहीं करता है। लेकिन इस समय शहर में डीजल से चलने वाले वाहनों की संख्या बढ़ने और ठहराव स्थल शहर में रहने के कारण वायु प्रदूषण का स्तर पांच पीपीएम बढ़कर वर्तमान में 7.5 पीपीएम हो गया है। जो बहुत ज्यादा परेशान करने वाली बात है। डॉ. तारक ने कहा कि ऑटो मोबाइल वाहनों द्वारा कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाईऑक्साड, सल्फर डाईऑक्साइड रिलिज होता है। तीनों प्रकार के गैस मानव को स्वस्थ रहने में परेशानी उत्पन्न होता है। कार्बन मोनो ऑक्सइड एक प्रकार का विषैला गैस होता है। कार्बन डाईऑक्साइड से न केवल पार्यावरण में गर्मी को बढ़ा देता है बल्कि इससे श्वास संबंधित आदि रोगों को खतरा बढ़ जाता है।
स्रोत-हिन्दुस्तान