दो घंटे ठप रही इमरजेंसी सेवा, परेशानी
108 एंबुलेंस परिचालन बंद करने संबंधित आदेश के विरोध में स्वास्थ्यकर्मियों ने गुरुवार को सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में तालाबंदी कर विरोध प्रदर्शन किया। इससे इमरजेंसी में कामकाज ठप हो गया और मरीजों के परिजनों को मजबूर होकर निजी अस्पताल जाना पड़ा। पूरे दो घंटे तक अस्पताल परिसर में अफरा तफरी का माहौल बना रहा।
बाद में डीएस के आश्वासन पर स्वास्थ्यकर्मियों का गुस्सा शांत हुआ और मरीजों का इलाज शुरू हुआ। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन के साथ-साथ मरीज के परिजनों ने राहत की सांस ली।
तालाबंदी कर विरोध प्रदर्शन कर रहे 108 एंबुलेंस के ईएमटी रामकुमार और मो. शाकिब हुसैन का कहना था कि सीएस के लिखित आश्वासन पर पिछले चार-पांच साल से एंबुलेंस के साथ-साथ अस्पताल की इमरजेंसी सेवा में ड्रेसर का काम करते रहे हैं।
इसके लिए उन्हें डीएचएस से भुगतान किया जा रहा था। लेकिन अचानक आवंटन नहीं होने की बात कहकर एंबुलेंस परिचालन ठप करने का आदेश निकाल भुगतान पर रोक लगा दी गई। उनका कहना था कि दिन-रात चौबीसों घंटे इमरजेंसी का जिम्मा संभाल रहे हैं लेकिन अचानक से परिचालन बंद करने का आदेश निकाल दिया जाना न्यायसंगत नहीं है। इसी बात से गुस्साए ईएमटी और एंबुलेंस चालक इमरजेंसी वार्ड में दोपहर डेढ़ बजे से साढ़े 3 बजे तक ताला लगाकर काम नहीं किया। डीएस डॉ. अरूण वर्मा ने तीन दिनों के अंदर समस्या के समाधान का आश्वासन दिया तब स्वास्थ्यकर्मियों ने ताला खोला। इसके बाद इमरजेंसी वार्ड में मरीज और परिजनों की भीड़ लग गई।
एक दर्जन से अधिक मरीजों को लौटाया वापस : विरोध प्रदर्शन के दौरान डायरिया से पीड़ित अनिता देवी को लेकर परिजन सदर अस्पताल आए थे। लेकिन गेट पर से ही स्वास्थ्यकर्मियों ने उन्हें वापस लौटा दिया।
अनिता के बिगड़ते हालात को देख परिजन मजबूर होकर उसे निजी क्लीनिक लेकर गए। अनिल कुमार अपने तीन साल के पुत्र अंश का इलाज कराने अस्पताल आए थे। अंश का सिर फटा था। आग्रह पर भी स्वास्थ्यकर्मियों ने ड्रेसिंग करने से मना कर दिया। यही हाल लबही टोला के सुरेन्द्र यादव, झहुरा के विपीन मंडल, संतोष मंडल और बकौर के इन्द्रा देवी का था। सभी इलाज के लिए गुहार लगाते रहे लेकिन स्वास्थ्यकर्मियों ने उनकी एक नहीं सुनी।
सदर अस्पताल में गुरुवार को प्रदर्शन कर रहे 108 एंबुलेंस के ईएमटी से बात करते डीएस डॉ. अरूण कुमार।
स्रोत-हिन्दुस्तान