कलश स्थापना के साथ शारदीय नवरात्र आरंभ
शारदीय नवरात्र के पहले दिन आदिशक्ति मां दुर्गा के प्रथम स्वरुप शैल पुत्री की पूजा अर्चना कलश स्थापन के साथ ही शुरु हो गया। भारी बारिश व बाढ़ के पानी भी आस्था पर फींका पड़ गया। जिले में 58 स्थानों पर पूजा पंडाल बनाकर मां का अनुष्ठान के लिए श्रद्धालु अभी से ही तत्पर नजर आ रहे हैं।
रविवार के अहले सुबह से ही महिला एवं पुरुष श्रद्धालु गंगा स्नान करने के बाद अपने-अपने पूजा घरों एवं मंदिर परिसर में कलश स्थापित कर नवरात्र का अनुष्ठान प्रारंभ कर दिया। शहर के दुर्गास्थान चौक पर स्थित सार्वजनिक दुर्गा मंदिर जिसे बड़ी दुर्गा स्थान के नाम से जाना जाता है के अलावा लालकोठी स्थित मनसकामना मंदिर तथा मिरचाईबाड़ी के सर्व मंगला मंदिर में विद्वान आचार्यो के देखरेख में मां की पूजा अर्चना शुरु की गई। इस दौरान या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रुपेण संस्थितान के मंत्रों से गंूजायमान हो उठा। पहले क्रम में दिन के सरढ़े 10 बजे तक ही कलश स्थापन का मुहूर्त रहने के कारण लोगों ने निर्धारित समय के अन्दर ही कलश को स्थापित कर शक्ति के प्रथम रुप की पूजा शुरु की।
पंडितों ने बताया कि पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रुप में जन्म लेने तथा देवाधिदेव की अद्र्धांगिनी के रुप में वरण करने के कारण इन्हें शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है। शैलपुत्री की उपासना से साधक को त्रिविध ताप से मुक्ति मिलती है।
बारिश पर आस्था रहा भारी: शहर एवं ग्रामीण इलाकों में लगभग तीन सौ से अधिक जगहों पर शारदीय नवरात्र दुर्गापूजा का आयोजन किया गया है।
जहां आयोजन समिति द्वारा पूजा अर्चना के साथ साथ भजन कीर्तन व प्रवचन कार्यक्रम का भी आयोजन किया जायेगा। रविवार को शक्तिस्वरुप मां दुर्गा के प्रथम स्वरुप शैलपुत्री की पूजा अर्चना आस्था और भक्ति के माहौल में की गयी। दुर्गा पूजा के मौके पर आयोजित होनेवाले मेला में लोगों की भीड़ को नियंत्रण के लिए आयोजन समितियों द्वारा अभी से ही तैयारी शुरू कर दी गयी है। विधि व्यवस्था बनाये रखने के लिए
स्रोत-हिन्दुस्तान