Home सुपौल अभाविप ने शिक्षा के व्यापारीकरण पर रोक लगाने के लिए डीएम को सौंपा ज्ञापन

अभाविप ने शिक्षा के व्यापारीकरण पर रोक लगाने के लिए डीएम को सौंपा ज्ञापन

4 second read
Comments Off on अभाविप ने शिक्षा के व्यापारीकरण पर रोक लगाने के लिए डीएम को सौंपा ज्ञापन
0
1

अभाविप ने शिक्षा के व्यापारीकरण पर रोक लगाने के लिए डीएम को सौंपा ज्ञापन

आंदोलन के परिणाम स्वरूप शैक्षणिक क्षेत्र के साथ-साथ सामाजिक एवं राष्ट्रीय परिदृश्य में उल्लेखनीय परिवर्तन दृष्टिगोचर हुए हैं

 

सुपौल. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी को आवेदन देकर जिले के गैर सरकारी विद्यालयों द्वारा प्रत्येक वर्ष शुल्क बढ़ोतरी पर रोक लगाने, पुस्तक एवं ड्रेस परिवर्तन के माध्यम से अवैध उगाही पर नियंत्रण लगाने की मांग की है. दिये आवेदन में बताया है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद शैक्षणिक क्षेत्र की समस्याओं के समाधान हेतु वर्ष भर परिसर के अंदर एवं बाहर आंदोलनात्मक एवं रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से सक्रिय रहती है. आंदोलन के परिणाम स्वरूप शैक्षणिक क्षेत्र के साथ-साथ सामाजिक एवं राष्ट्रीय परिदृश्य में उल्लेखनीय परिवर्तन दृष्टिगोचर हुए हैं. इस मांग पत्र के माध्यम से गैर सरकारी विद्यालयों के मनमाने शुल्क वृद्धि सहित विभिन्न मांगों पर शीघ्र ठोस एवं उचित कार्रवाई हेतु आग्रह किया है. दिये मांग पत्र में कहा है कि अधिकांश गैर सरकारी विद्यालयों द्वारा प्रत्येक वर्ष मासिक शुल्क में बेतहाशा वृद्धि की जाती है जो अभिभावकों से अवैध उगाही का एक माध्यम है.

 

जिला स्तर पर एक समिति बनाकर ऐसे विद्यालयों की जांच करते हुए समुचित कार्रवाई की जाए. अधिकांश गैर सरकारी विद्यालयों द्वारा प्रति वर्ष ड्रेस बदल दिया जाता है, जो एक निश्चित दुकान से ही खरीदना पड़ता है. यह शिक्षा के व्यापारीकरण का एक उदाहरण है, इस पर अविलंब रोक लगाया जाए एवं कम से कम 3 वर्ष तक ड्रेस कोड में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जाए. गैर सरकारी विद्यालयों के द्वारा प्रतिवर्ष पाठ्य पुस्तक भी बदल दिए जाते हैं, पहली कक्षा पाठ्य पुस्तक 3000 से 3500 रुपए तक में मिलते हैं. जबकि सरकार द्वारा तय मानक के अनुरूप एनसीईआरटी की पुस्तक ही पढ़ाई जानी है. प्रतिवर्ष पुस्तक परिवर्तित करने से पर्यावरण को बड़ी मात्रा में क्षति पहुंचती है. 03 करोड पेड़ प्रत्येक वर्ष कागज निर्माण के लिए काटे जा रहे हैं. बताया कि ऐसे विद्यालय पर भी कड़ी कार्रवाई की जाए.

 

उन्हें आदेशित किया जाए कि कम से कम 03 वर्ष तक पुस्तक में कोई प्रकार का बदलाव न हो एवं उनका शुल्क भी उचित हो तथा इसे एक निश्चित दुकान से ही खरीदने की बाध्यता समाप्त की जाए. आरटीई के तहत प्रत्येक विद्यालय में 25 प्रतिशत निर्धन छात्र-छात्राओं के नामांकन एवं उनके संपूर्ण पढ़ाई का जांच किया जाए. कहा कि इन मांगों पर शीघ्र एवं ठोस कार्रवाई किया जाए. अन्यथा विद्यार्थी परिषद पूरे बिहार प्रदेश में अभिभावकों के साथ सड़क पर आंदोलन के लिए बाध्य होगी. मौके पर रंजीत झा, शिवजी कुमार, राजेश कुमार, विनीत कुमार, सोहन कुमार, आदित्य कौशिक, राजेश कुमार मल्लिक सहित अन्य अभाविप कार्यकर्ता उपस्थित थे.

 

Load More Related Articles
Load More By Seemanchal Live
Load More In सुपौल
Comments are closed.

Check Also

अररिया में पत्नी की हत्या करने वाले पति को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है. आरोपी पति ने महिला से प्रेम विवाह किया था.

प्रेम विवाह का दर्दनाक अंजाम! दहेज के लिए पत्नी को जहर देकर मारने वाले पति को हुई उम्र कैद…