Home खास खबर Pitru Paksha 2024: गया में पिंडदान करने का है खास महत्व, जानें क्या कहता है गरुड़ पुराण, विष्णु पुराण और वैवर्त पुराण?

Pitru Paksha 2024: गया में पिंडदान करने का है खास महत्व, जानें क्या कहता है गरुड़ पुराण, विष्णु पुराण और वैवर्त पुराण?

8 second read
Comments Off on Pitru Paksha 2024: गया में पिंडदान करने का है खास महत्व, जानें क्या कहता है गरुड़ पुराण, विष्णु पुराण और वैवर्त पुराण?
0
41

Pitru Paksha 2024: गया में पिंडदान करने का है खास महत्व, जानें क्या कहता है गरुड़ पुराण, विष्णु पुराण और वैवर्त पुराण?

Pitru Paksha 2024: आखिर कैसे होगा पितृ पक्ष में 7 पीढ़ियों का उद्धार? क्या है गया में पिंडदान करने का महत्व? जानें गया की पौराणिक कथा…

Pitru Paksha 2024 Gaya Pind Daan: हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद मृतक के पुत्र या किसी परिवार के लोगों द्वारा पिंड़दान देने का नियम है। वैसे तो मृतक के नाम से किसी भी धार्मिक या पवित्र जगहों पर पिंडदान, तर्पण या श्राद्धकर्म किया जा सकता है लेकिन हिन्दू शास्त्रों में गया को इन सब कर्मो के लिए सबसे उत्तम स्थान दिया गया है। गया में पिंडदान करने का खास महत्व है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

गया में पिंडदान का क्या महत्व है?

मान्यता है कि पितृ पक्ष में गया जाकर पिंडदान करने से 7 पीढ़ियों का उद्धार होता है। साथ ही पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। ये स्थान मोक्ष स्थली भी कहलाता है। गया में पिंडदान करने के बाद व्यक्ति पितृ ऋण से मुक्त हो जाता है यानी कुछ भी शेष नहीं रह जाता है। इसकी महत्व का पता इस कथा से भी चलता है कि फल्गु नदी के तट पर ही भगवान राम राजा दशरथ की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए गया में ही श्राद्ध कर्म और पिंडदान किया था।

धर्मग्रंथों में मिलता है इस तीर्थ का जिक्र

गरुड़ पुराण, विष्णु पुराण और वैवर्त पुराण में बताया गया है कि गया जैसे तीर्थ पर पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए गया को मोक्ष स्थली भी कहा जाता है। पितृपक्ष के दौरान हर साल गया में एक मेला लगता है, जिसे पितृपक्ष का मेला (Pitru Paksha Fair) के नाम से जाना जाता है।

गया की पौराणिक कथा

पौराणिक काल में गयासुर नामक एक असुर हुआ करता था। उसने ब्रह्म देव की घोर तपस्या की और उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी प्रकट हुए तो गयासुर ने वरदान मांगा कि उसका शरीर पवित्र हो जाए और लोग उसके दर्शन मात्र से ही पाप मुक्त हो जाएं। वरदान मिलने के बाद लोग पाप करने लगे। बड़े से बड़ा पाप करने के बाद लोग गयासुर के दर्शन करते और पाप मुक्त हो जाते जिसकी वजह से स्वर्ग और नरक का संतुलन बिगड़ने लगा। गयासुर के दर्शन करके सभी पापी भी स्वर्ग पहुंचने लगे।

ये देख सभी देवतागण गयासुर के पास गया आए और यज्ञ के लिए पवित्र स्थान की मांग की। तब गयासुर ने यज्ञ के लिए अपना शरीर देते हुए देवताओं से कहा कि आप मेरे ऊपर ही यज्ञ करें। गयासुर के कहने पर देवताओं ने उसे लेटने को कहा। फिर जब गयासुर लेटा तो उसका शरीर पांच कोस में फैल गया और यज्ञ संपन्न होने के बाद ये पांच कोष का क्षेत्र गया बन गया।

गया में भगवान विष्णु गंगाधर के रूप में विराजमान हैं। गयासुर के विशुद्ध शरीर में ब्रह्मा, जनार्दन, शिव तथा प्रपितामह निवास करते हैं। इसलिए पिंडदान व श्राद्ध कर्म के लिए इस स्थान को उत्तम माना गया है।

Load More Related Articles
Load More By Seemanchal Live
Load More In खास खबर
Comments are closed.

Check Also

जिला स्तरीय सतर्कत्ता व अनुश्रवण समिति की चौथी बैठक संपन्न जिला स्तरीय सतर्कत्ता एवं अनुश्रवण समिति की चतुर्थ बैठक सम्पन्न हुई.

जिला स्तरीय सतर्कत्ता व अनुश्रवण समिति की चौथी बैठक संपन्न जिला स्तरीय सतर्कत्ता एवं अनुश्…