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आधा किलोमीटर जाने के लिए करना होता है 10 किमी सफर

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आधा किलोमीटर जाने के लिए करना होता है 10 किमी सफर

कटिहार- बठैली कुर्बानी भिट्टा- पड़रिया-सोती जर्जर पथ का टेंडर निकलने के छह माह बाद भी काम शुरू नहीं हुआ है. 2017 में ध्वस्त खानाधार पुल के नहीं बनने से लोगों को आवागमन में काफी कठिनाई होती है.

कटिहार. शहर के रामपाड़ा-बैगना होते हुए वाया मधेपुरा- बठैली- कदवा- बारसोई व जिला मुख्यालय से जुड़ने वाली सड़क वर्षों से नहीं बनी. यह जर्जर स्थिति में है. इसी सड़क पर बना खानाधार पुल वर्ष 2017 के बाढ़ से पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है. इसी सड़क के कुछ हिस्से यानी करीब दो किलोमीटर व ध्वस्त खानाधार पर उच्च स्तरीय पुल निर्माण का टेंडर ग्रामीण कार्य विभाग की ओर से जनवरी 2024 में निकला था.
पर छह माह बीतने के बाद भी अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है. इससे लोगों को आवागमन में परेशानी हो रही है. उल्लेखनीय है कि इस सड़क में खानाधार पुल, कसमाधार पुल, कालीघाट पुल व सड़क का निर्माण हो जाने से कटिहार व बारसोई की दूरी लगभग 10 किलोमीटर कम हो जायेगी.
दूसरी तरफ कई गांव यथा बलुआ टोला, सरमती, आदिवासी टोला, गोरफर, झुमका मुसहरी टोला, मिलक टोला, पड़रिया कला, पड़रिया खुर्द सहित कई डंडखोरा प्रखंड के 50 हजार से अधिक लोग लाभान्वित होंगे. कटिहार-बठेली कुर्बानी भिट्टा से सोती-कामरु होते हुए बारसोई तक जाने वाली सड़क बन जाने से चार प्रखंड के लोगों को इसका सीधा लाभ मिलेगा. साथ ही दो अनुमंडल बारसोई व कटिहार की दूरी 10 किलोमीटर कम हो जायेगी. पिछले 10 वर्षों से इस सड़क व पुल निर्माण की मांग होती रही है.
धरना प्रदर्शन भी किया गया. स्थानीय सांसद, विधायक की ओर से आश्वासन भी मिला था. जिला पदाधिकारी के जनता दरबार में भी यह मामला उठाया गया. स्थानीय समाजसेवी ने मामले को लेकर मुख्यमंत्री के जनता दरबार में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष भी उठाया. लेकिन काम शुरू नहीं होने से लोगों में निराशा है.

सड़क का अस्तित्व समाप्ति के कगार पर

कटिहार प्रखंड अंतर्गत बठेली- कुर्बानी भिट्ठा तक सड़क की किसी तरह बची हुई है. पर उसके आगे, रक्शा आदिवासी गांव से आगे बलुआ टोला, पररिया, सरमती, गोरफर तक जाने वाली इस सड़क का अस्तित्व समाप्त होने को है. जबकि करीब एक दशक पूर्व तक इस सड़क की एक अलग ही पहचान थी. इस क्षेत्र के लिए यह मुख्य सड़कथी. पर राजनीतिक व प्रशासनिक उपेक्षा की वजह से यह सड़क अब अस्तित्व खो रही है. उल्लेखनीय है कि कई बार इस सड़क को लेकर विधानसभा में भी सवाल उठाया गया. पर स्थानीय लोगों के अनुसार, अबतक स्थिति जस की तस बनी हुई है. हालांकि ग्रामीण कार्य विभाग प्रमंडल बारसोई के अभियंता की माने तो सड़क के पुनर्निर्माण को लेकर पहल की जा रही है. इसे कोर नेटवर्क में भी डाला गया है.

नदी पार कर पीडीएस व बूथ तक जाते हैं लोग

इस सड़क के पुनर्निर्माण को लेकर स्थानीय लोगों में फिर से आक्रोश पनप रहा है. पिछले वर्ष धरना-प्रदर्शन भी किया गया. उसके बाद भी अब तक कोई पहल नहीं दिख रही है. समाजसेवी चितरंजन भारती की मानें तो लोगों में इस सड़क का निर्माण नहीं होने से गुस्सा है. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में लोग वोट बहिष्कार करने का निर्णय लिया था. लेकिन स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता व जनप्रतिनिधियों के आश्वासन के बाद वोट बहिष्कार का निर्णय वापस ले लिया गया. उन्होंने बताया कि नदी पार करके कई गांवों के लोगों को चुनाव के समय वोट देने के लिए गोरफर जाना पड़ताहै. साथ ही राशन व अन्य कई जरूरी कार्य के लिए भी नदी पार करना पड़ता है. इससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. लोगों के अनुसार कई बार जनप्रतिनिधियों को मांग पत्र दिया गया. विधानसभा में भी सवाल उठाया गया. पर सरकार की ओर से अब तक सड़क निर्माण को लेकर कोई पहल नहीं हुई है.

2017 के बाढ़ में ध्वस्त हुआ खानाधार पुल, अबतक नहीं बना

इसी सड़क के खानाधार में 1999 में सांसद कोष से खानाधार पुल बनाया गया. वर्ष 2017 में आयी प्रलयंकारी बाढ़ के दौरान पुल और सड़क पुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गयी. बाढ़ में खानाधार पुल क्षतिग्रस्त होकर गिर जाने से डंडखोरा और कटिहार प्रखंड दो भागों में बंट गया है. पुल के क्षतिग्रस्त हो जाने से सात वर्ष से आवागमन अवरुद्ध है. इससे कई गांवों के लोग प्रभावित हैं. ग्रामीणों को आधा किलोमीटर की दूरी तय करने में पांच से 10 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ताहै.

पुल व सड़क का जनवरी 2024 में निकला था टेंडर

संबंधित सड़क अंतर्गत बलुआ टोला से कुर्बानी भिट्ठा तक 2.2 किलोमीटर तक सड़क व पुल निर्माण का टेंडर ग्रामीण कार्य विभाग की ओर से जनवरी 2024 में निकाला गया था. पर छह माह बीतने के बाद भी काम शुरू नहीं हुआ है. उल्लेखनीय है कि अगस्त 2023 में स्थानीय समाजसेवी चितरंजन भारती उर्फ लड्डू इस सड़क व पुल निर्माण की मांग को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दरबार में पहुंचे थे. तब सीएम के जनता दरबार में आश्वासन दिया गया था कि जल्द ही संबंधित सड़क व पुल निर्माण की दिशा में पहल की जायेगी. पर सीएम के जनता दरबार में जाने के 10 माह बाद भी स्थिति अब भी जस की तसहै. स्थानीय लोग इस सड़क व पुल निर्माण की मांग को लेकर चरणबद्ध आंदोलन की रणनीति बना रही है.

लोगों को आवागमन में हो रही परेशानी

समाजसेवी चितरंजन भारती उर्फ लड्डू, चंद्रकांत झा, जीपु कुमार, घनश्याम यादव, संजीव मंडल सहित दर्जनों ग्रामीणों ने बताया कि खानाधार पुल बाढ़ के कारण टूट जाने से पिछले सात वर्ष से आवागमन में परेशानी हो रही है. ग्रामीणों ने बताया कि उक्त पुल दो विधानसभा के बीच में पड़ने के कारण प्रतिनिधियों का इस पर ध्यान नहीं जाता है. इसका नुकसान उस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को उठाना पड़ रहा है. लोगों ने कहा कि कई बार सांसद, विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधियों को भी इस सड़क निर्माण को लेकर मांग पत्र सौंपा. पर कहीं से कोई सुनवाई नहीं हुई. लोग लाचार व विवश होकर किसी तरह आवाजाही कर रहे हैं.

कहते हैं कार्यपालक अभियंता

इस मामले में पूरी जानकारी नहीं है. अगर टेंडर हुआ है व एग्रीमेंट हो गया होगा, तो बरसात के बाद जल्दी काम शुरू कर दिया जायेगा.
-अजय कुमार, कार्यपालक अभियंता, ग्रामीण कार्य प्रमंडल, कटिहार

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