
बिहार के ये सांसद क्यों नहीं ले पाए भोजपुरी में शपथ? सियासी गलियारों में उठ रहे कई सवाल
18वीं लोकसभा का पहला दिन भाषाई और सांस्कृतिक विविधता का सजीव प्रमाण था. विभिन्न भाषाओं में शपथ लेने से न केवल भारतीय लोकतंत्र की विविधता का प्रदर्शन हुआ, बल्कि यह भी साबित हुआ कि भारत की संसद विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों का सम्मान करती है.
नई लोकसभा का सत्र शुरू हो चुका है. 18वीं लोकसभा के पहले दिन संसद भवन में भाषाई और सांस्कृतिक विविधता का अनूठा प्रदर्शन देखने को मिला. विभिन्न क्षेत्रों से नवनिर्वाचित सांसदों ने अपनी-अपनी मातृभाषाओं में शपथ ली, जिससे भारत की भाषाई विविधता का सुंदर चित्रण हुआ. अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत, डोगरी, बंगाली, असमिया और ओडिया समेत कई भाषाओं में शपथ ग्रहण हुआ, जिसने संसद के माहौल को विविधतापूर्ण बना दिया. वहीं बिहार के सारण से भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने इस अवसर पर अपनी एक विशेष इच्छा जताई. उन्होंने अफसोस व्यक्त किया कि वह भोजपुरी में शपथ नहीं ले पाए. यह उनकी मातृभाषा है और अगर उन्हें भोजपुरी में शपथ लेने का मौका मिलता, तो वह अपने क्षेत्र और संस्कृति का प्रतिनिधित्व बेहतर ढंग से कर सकते थे.
आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध भाषाओं का महत्व
आपको बता दें कि सांसदों को अंग्रेजी या संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध 22 भाषाओं में से किसी एक में शपथ लेने का अधिकार है. दुर्भाग्यवश, भोजपुरी इन 22 भाषाओं में शामिल नहीं है. इसी कारण से राजीव प्रताप रूडी अपनी मातृभाषा में शपथ नहीं ले सके. यह मुद्दा केवल रूडी का नहीं, बल्कि उन सभी सांसदों का है, जिनकी मातृभाषा आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं है.
लोकसभा में विविध भाषाओं का प्रयोग
इसके साथ ही आपको बता दें कि लोकसभा में विविध भाषाओं का प्रयोग देखकर राजीव प्रताप रूडी को बहुत खुशी हुई. उन्होंने कहा, ”सांसदों को अपनी मातृभाषा में शपथ लेते देखना अच्छा लगा। हर कोई अपनी भाषा में शपथ ले रहा है और यह बहुत अच्छा लग रहा है। अगर हम भोजपुरी में शपथ ले पाते तो और भी अच्छा होता.” रूडी ने यह बात अध्यक्ष को संबोधित करते हुए कही, जो उस समय बिहार के पूर्वी चंपारण से भाजपा सांसद राधा मोहन सिंह थे.
राजीव प्रताप रूडी का शपथ ग्रहण
अंत में राजीव प्रताप रूडी ने हिंदी में शपथ ली. हिंदी भी एक प्रमुख भारतीय भाषा है और बिहार में व्यापक रूप से बोली जाती है, इसलिए यह उनके लिए दूसरी स्वाभाविक पसंद थी. राजीव प्रताप रूडी ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सुप्रीमो लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य को लोकसभा चुनाव में हराया था, जिससे उनकी राजनीतिक स्थिति और मजबूत हुई.
भोजपुरी भाषा की महत्वता
इसके अलावा आपको बता दें कि भोजपुरी भाषा भारतीय उपमहाद्वीप में एक महत्वपूर्ण भाषा है, जो विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के कई हिस्सों में बोली जाती है. यह भाषा सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर का प्रतिनिधित्व करती है. भोजपुरी में शपथ लेने की इच्छा जाहिर करके राजीव प्रताप रूडी ने इस भाषा की महत्वपूर्णता को भी उजागर किया.