‘भगवान महावीर’ की धरती वैशाली पर कड़ी टक्कर, मुन्ना शुक्ला Vs वीणा देवी
वैशाली लोकसभा सीट से चुनावी मुकाबले में एनडीए की तरफ से वीणा देवी और इंडिया गठबंधन की तरफ से आरजेडी नेता विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला हैं.
भगवान महावीर की धरती वैशाली पर 25 मई को चुनाव होना है. वैशाली सीट पर चुनावी नतीजे तय करने में भूमिहार, यादव, राजूपत, कुर्मी-कुशवाहा और मल्लाह महत्वूपूर्ण भूमिका निभाते हैं. छठे चरण के चुनाव को देखते हुए क्षेत्र में में सियासी सरगर्मी तेज हो चुकी है. आपको बता दें कि इस बार चुनावी मुकाबले में एनडीए की तरफ से वीणा देवी और इंडिया गठबंधन की तरफ से आरजेडी नेता विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला हैं. वहीं, इस मुकाबले में बाहुबली नेता रामा सिंह भी हैं. उनके इस मुकाबले में एंट्री से चुनाव रोचक बन चुका है. इन नेता के बीच कांटों का मुकाबला देखा जा रहा है. बता दें कि 2014 लोकसभा चुनाव में रामा सिंह उर्फ राम किशोर सिंह ने लोजपा के कैंडिडेट रघुवंश को शिकस्त दी थी. वहीं, इस चुनाव में लालू ने जब उन्हें टिकट नहीं दी तो रामा सिंह वापस से लोजपा (रामविलास) में चले गए. रामा के सपोर्ट से वीणा देवी और मुन्ना शुक्ला के बीच की टक्कर दिलचस्प हो चुकी है.
मुन्ना शुक्ला का राजनीति सफर
मुन्ना की बात करें तो वह मुजफ्फरपुर की लालगंज विधानसभा सीट के रहने वाले हैं. 90 के दशक में मुन्ना शुक्ला के बड़े बाई कौशलेंद्र उर्फ छोटन शुक्ला का बिहार की राजनीति में बोलबाला था. छोटन शुक्ला और आनंदमोहन सिंह का एक बड़ा गुट था. यह ऊंची जातियों के लिए काम कर रहा था. वहीं, दूसरी तरफ एक दूसरा गुट भी था, जो पिछड़ी जाति के नेताओं को सपोर्ट कर रहा था. इन दोनों ही गुटों में आए दिन झड़प होती रहती थी और इसी कड़ी में 1994 में छोटन शुक्ला की हत्या कर दी गई. जिसके बाद छोटन शुक्ला की शव यात्रा निकाली गई. इसी यात्रा के दौरान गोपालगंज के डीएम जी. कृष्णैया की हत्या उग्र भीड़ ने कर दी. जिसके आरोप में आनंद मोहन को आजीवन कारावास की सजा हुई थी.
बड़े भाई की हत्या के बाद हुई राजनीति में एंट्री
आनंद मोहन पर यह आरोप लगा कि उन्होंने भीड़ को भड़का कर डीएम की हत्या करवाई. बता दें कि छोटन शुक्ला की हत्या का आरोप ओमकार गैंग पर लगा था. जिसके बाद बदला लेने के लिए छोटन शुक्ला के गुट ने ओमकार गैंग के सात गुर्गों की हत्या कर दी थी. बड़े भाई की हत्या के बाद मुन्ना शुक्ला का नाम चर्चा में आया और पहली बार 1999 में उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़े और जीत हासिल की. लगातार तीन बार जेडीयू की टिकट से मुन्ना शुक्ला लालगंज के विधायक बने, लेकिन 2009 में जेडीयू ने जब उन्हें रघुवंश प्रासद के खिलाफ उतारा तो उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
आपको बता दें कि 2009 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू की टिकट से मुन्ना शुक्ला वैशाली सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन आरजेडी के रघुवंश प्रसाद सिंह के हाथों उनकी हार हुई थी. जिसके बाद 2014 लोकसभा चुनाव में मुन्ना शुक्ला की पत्नी निर्दलीय चुनाव लड़ी और इस चुनाव में उनकी भी हार हुई.