रख रखाव के आभाव में बर्बाद हो रही दवाएं
सदर अस्पताल में दवा भंडारण की उचित व्यवस्था नहीं रहने के कारण खुले वातावरण में दवाईयों को रखा जाता है। यह प्रक्रिया कोई नई नहीं है बल्कि पिछले कई महीनों से अपनायी जा रही है।
बाहर में दवा का भंडारण करने से उसकी गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि विभाग को इन दवाओं की आवश्यकता नहीं है। दवाओं को जंगल झाड़ के पास रखा गया है। कुछ दवाओं को बंद पैकेट में रखा गया है। वहीं कफ सीरफ, एंटीबायोटिक का टेबलेट, विटामिन, भर्ती रोगियों को चढ़ाये जाना वाला पानी को जैसे-तैसे हालत में रख दिया गया है। इनमें से भारी संख्या में दवाएं मिट्टी पर ही रखा हुआ है। दवाईयों में पुराने के साथ नये दवाओं का भी भंडारण किया गया है। दवाओं की रख-रखाव की स्थिति को देखने से लगता कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से लाखों रुपये की दवा भेज दी जाती है या फिर यहां के दवा नियंत्रक उसे मंगा लेते हैं लेकिन उसके रख-रखाव का कोई व्यवस्था नहीं किये हैं। जहां मन हो रहा है, वहां और जैसे मन हो रहा है, वैसे दवाओं को रख रहे हैं। इससे दवा के गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। दवाओं के रखरखाव की स्थिति को देखने से प्रतीत हो रहा है कि इसके कोई मालिक हीं नहीं है। स्थिति ऐसी हो गयी है कि अब दवाओं के रख-रखाव पर लोग स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर अंगुली उठाने लगे हैं।
स्रोत-हिन्दुस्तान