कोई जी-23 नहीं है, आवाज उठाने वाले तो ज्यादा हो सकते थे; ऐसा क्यों बोले शशि थरूर?
कांग्रेस अध्यक्ष पद के उम्मीवार शशि थरूर चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं। सोमवार को उन्होंने असंतुष्ट नेताओं का समूह कहे जाने वाले ‘G-23’ पर भी चर्चा की। उन्होंने इस समूह की सच्चाई से भी पर्दा उठाया और बताया कि ऐसा कुछ नहीं था और यह मीडिया की तरफ से तैयार कहानी है। समूह ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठन में सुधार की बात कही थी।
पत्रकारों से बातचीत के दौरान थरूर ने कहा, ‘पहली बात तो कोई जी 23 ग्रुप नहीं है और न ही कभी था। मैं बताता हूं कि यह पूरी तरह मीडिया की उपज थी। जहां तक मैं आपको बता सकता हूं कि कुछ वरिष्ठ नेताओं ने एक लैटर लिखा और अपने समर्थन के लिए बड़ी संख्या में लोगों को बुलाया। उन्होंने मुझे बताया कि फोन पर उन्होंने सैकड़ों लोगों से संपर्क किया है, जो समर्थन जाहिर कर रहे हैं। यह तब हुआ जब कोविड लॉकडाउन चल रहा था। और उस दौरान केवल 23 लोग ही दिल्ली में हस्ताक्षर करने के लिए थे। इसलिए 23 लोगों ने उसपर साइन किए, नहीं तो वे सैकड़ों हो सकते थे, इससे ज्यादा या कम भी हो सकते थे…।’
पहला सवाल, क्या है G-23?
अगस्त 2020 में पार्टी के 23 नेताओं का हस्ताक्षर किया हुआ एक पत्र सोनिया गांधी के पास पहुंचा, जिसमें पार्टी के अंदर बड़े बदलाव की मांग रखी गई थी। इस पत्र के साथ ही सियासी चर्चाएं तेज हो गई थीं, क्योंकि बदलाव की मांग उठाने वालों में 5 पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत कांग्रेस के दिग्गज नेता थे। बाद में हुई इन नेताओं की बैठक ने राजनीतिक पारा और चढ़ा दिया था।
दूसरा सवाल, कौन-कौन शामिल रहा?
इन नेताओं की सूची में पांच पूर्व मुख्यमंत्री, मौजूदा सांसद, कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य और करीब एक दर्जन पूर्व केंद्रीय मंत्री शामिल थे। इस पत्र में थरूर के अलावा गुलाम नबी आजाद, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, रजिंदर कौर भट्टल, एम वीरप्पा मोइली, पृथ्वीराज चव्हाण, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, विवेक तन्खा, पीजे कुरियन, अजय सिंह, रेणुका चौधरी, मिलिंद देवड़ा, राज बब्बर, जितिन प्रसाद, संदीप दीक्षित, अरविंदर सिंह लवली, कौल सिंह ठाकुर, अखिलेश प्रसाद सिंह, कुलदीप शर्मा, योगानंद शास्त्री ने हस्ताक्षर किए थे।