बिहार नगर निकाय चुनावः नहीं आए आवेदक के वकील, आरक्षण पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई कल
नगर निकायों में पिछड़ा-अतिपिछड़ा आरक्षण मामले की सुनवाई 22 सितंबर को होगी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मंगलवार को पटना हाईकोर्ट में इसकी सुनवाई हुई। इस दौरान आवेदक के वकील के नहीं रहने से सुनवाई गुरुवार तक के लिए टाल दी गई।
गौरतलब है कि नगर निकाय चुनाव में आरक्षण नहीं देने का आरोप लगाते हुए पटना नगर निगम के वार्ड पार्षदों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत पिछड़ा आयोग बनाकर वार्डों में आरक्षण की स्थिति को स्पष्ट करना था, जो अब तक राज्य सरकार नहीं कर पायी । ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत ही नगर निकाय चुनाव होने चाहिए।
आवेदक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मृगांक मौली ने कोर्ट को बताया था कि कि नगर निकाय चुनाव में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नजरअंदाज किया जा रहा है। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश तथा महाराष्ट्र से संबंधित फैसले में बैकवर्ड कमेटी बना कर पिछड़ी जाति को नगर निकाय चुनाव में आरक्षण देने के निर्णय लेने के बाद ही चुनाव कराने का आदेश दिया है। राज्य सरकार ने पिछड़ी जाति को आरक्षण दिये बिना ही चुनाव कराने का निर्णय लिया है।
उच्चतम न्यायालय ने तीन जांच के प्रावधान के तहत राज्य को प्रत्येक स्थानीय निकाय में ओबीसी के पिछड़ेपन पर आंकड़े जुटाने का निर्देश दिया था जिसमें विशेष आयोग गठित करने और आयोग की सिफारिशों पर हरेक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत बताई। कोर्ट ने कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और ओबीसी के लिए इस तरह के आरक्षण की सीमा में कुल सीटों की संख्या के 50 प्रतिशत को पार नहीं कर पाये।