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गोबर की बिजली से जगमग होंगे गौठान

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गोबर की बिजली से जगमग होंगे गौठान

रायपुर, एक अक्टूबर (भाषा) छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के गौठानों को गोबर की बिजली से रौशन करने का फैसला किया है। राज्य के जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने शुक्रवार को यहां बताया कि छत्तीसगढ़ के गौठान अब गोबर की बिजली से जगमग होंगे। गौठानों में स्थापित रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में विभिन्न प्रकार के उत्पादों को तैयार करने के लिए लगी मशीनें भी गोबर की बिजली से चलेंगी। गौठान अब बिजली के मामले में स्वावलंबी होंगे।

अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शनिवार दो अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन बेमेतरा जिला मुख्यालय के बेसिक स्कूल मैदान में आयोजित किसान सम्मेलन में गोबर से बिजली उत्पादन की महत्वाकांक्षी और ऐतिहासिक परियोजना की शुरुआत करेंगे। राज्य के कई गौठानों में गोबर से बिजली उत्पादन की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है।

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री बघेल दो अक्टूबर को बेमेतरा जिले के साजा विकासखण्ड के आदर्श गौठान राखी, दुर्ग जिले के पाटन विकासखण्ड स्थित सिकोला गौठान तथा रायपुर जिले के आरंग विकासखण्ड स्थित बनचरौदा गौठान में गोबर से विद्युत उत्पादन परियोजना की शुरुआत करेंगे।

अधिकारियों ने बताया कि गोबर से सस्ती बिजली उत्पादन होने के साथ-साथ जैविक खाद का भी उत्पादन होगा। इससे गौठान समितियों और महिला स्व-सहायता समूहों को दोहरा लाभ होगा।

उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में सुराजी गांव योजना के तहत राज्य के लगभग छह हजार गांवों में गौठानों का निर्माण कराकर उन्हें रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित किया गया है। यहां गोधन न्याय योजना के तहत दो रूपए किलो में गोबर की खरीदी कर बड़े पैमाने पर जैविक खाद का उत्पादन और अन्य आयमूलक गतिविधियां समूह की महिलाओं द्वारा संचालित की जा रही है।

अधिकारियों ने बताया कि गौठानों में क्रय गोबर से विद्युत उत्पादन की शुरुआत दो अक्टूबर से की जा रही है। इसके लिए प्रथम चरण में राखी, सिकोला और बनचरौदा गांव में गोबर से बिजली उत्पादन की यूनिट लगाई गई है। एक यूनिट में 85 क्यूबिक घन मीटर गैस का निर्माण होगा। एक क्यूबिक घन मीटर से 1.8 किलोवाट विद्युत का उत्पादन होता है। इस तरह एक यूनिट में 153 किलोवाट विद्युत का उत्पादन होगा। इस प्रकार तीनों गौठानों में स्थापित बायो गैस जेनसेट इकाइयों से लगभग 460 किलोवाट विद्युत का उत्पादन होगा। इससे गौठानों में प्रकाश व्यवस्था के साथ-साथ वहां स्थापित मशीनों का संचालन हो सकेगा।

उन्होंने बताया कि इस यूनिट से बिजली उत्पादन के बाद शेष स्लरी के पानी का उपयोग बाड़ी और चारागाह में सिंचाई के लिए होगा तथा अन्य अवशेष से जैविक खाद तैयार किया जाएगा।

अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना के तहत गांवों में पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से 10 हजार 112 गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है। जिनमें से 6112 गौठान निर्मित और संचालित है। गौठानों में अब तक 51 लाख क्विंटल से अधिक की गोबर खरीदी की जा चुकी है। जिसके एवज में ग्रामीणों, पशुपालकों को 102 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि गोबर से गौठानों में अब तक 12 लाख क्विंटल से अधिक वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट खाद का उत्पादन और विक्रय किया जा चुका है।

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