लोकसभा में सोमवार को विभिन्न विषयों पर विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘अधिकरण सुधार विधेयक, 2021’ पेश किया ।
न्यायाधिकरण सुधार विधेयक, 2021 के माध्यम से चलचित्र अधिनियम 1952, सीमा शुल्क अधिनियम 1962, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण अधिनियम 1994, व्यापार चिन्ह अधिनियम 1999, पौधा किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम 2001 तथा कुछ अन्य अधिनियमों में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है।
निचले सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे शुरू होने पर विपक्षी दलों के सदस्यों के शोर-शराबे के बीच ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘अधिकरण सुधार (सुव्यवस्थीकरण और सेवा शर्तें) विधेयक’ को वापस लिया और इसके स्थान पर ‘अधिकरण सुधार विधेयक, 2021’ पेश किया। यह विधेयक इससे संबंधित अध्यादेश का स्थान लेगा।
विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सरकार विपक्ष के अधिकारों का दमन करते हुए एक के बाद एक विधेयक ला रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम चर्चा चाहते हैं। लेकिन शुरुआत में पेगासस मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए।’’
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय ने अपने बहुत से निर्णयों में अधिकरणों से उच्चतम न्यायालय में सीधे अपील दायर करने का विरोध किया है। अत: अधिकरणों का और सरलीकरण आवश्यक समझा गया क्योंकि इससे राजकोष में पर्याप्त खर्च की बचत होगी और त्वरित रूप से न्याय प्रदान किया जा सकेगा।
इसमें कहा गया है कि ऐसी स्थिति में ‘अधिकरण सुधार (सुव्यवस्थीकरण और सेवा शर्तें) विधेयक, 2021’ को 13 फरवरी 2021 को लोकसभा में पेश किया गया था लेकिन यह बजट सत्र में पारित नहीं हो सका। चूंकि इस बारे में विधान की त्वरित जरूरत थी, ऐसे में राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 123 के खंड (1) के अधीन 4 अप्रैल 2021 को ‘अधिकरण सुधार (सुव्यवस्थीकरण और सेवा शर्तें) अध्यादेश, 2021 लागू किया था।