Home सुपौल एक तरफ सरकार जमीनी विवाद खत्म करने में लगी है। दूसरी तरफ विवाद बढ़ रहा है।

एक तरफ सरकार जमीनी विवाद खत्म करने में लगी है। दूसरी तरफ विवाद बढ़ रहा है।

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रिपोर्ट:-बलराम कुमार सुपौल बिहार।

मामला सुपौल जिला के त्रिवेणीगंज अनुमण्डलोय मुख्यालय स्थित जमीन रजिस्ट्री कार्यलय में जमीन रजिस्ट्री को लेकर बढ़ रही विवाद की है।
एक तरफ सरकार बढ़ रहे जमीनी विवाद को लेकर लगातार चल रही आपसी रंजिश, जमीन को लेकर हो रही खून, खराबा, हत्या,मामले को लेकर सभी थानों में प्रत्येक सप्ताह शनिवार को जनता दरबार लगाती है।
जहां थानों में CO,-CI, थानाध्यक्ष, कर्मचारी,सभी बैठकर लगातार जनता की जमीनी विवाद को खत्म करने के लिए हर सम्भव प्रयास कर रही है।
तो वहीं दूसरी तरफ असमाजिक तत्वों के कुछ व्यक्तियों द्वारा दूसरे की जमीन को अपना जमीन बताकर किसी अन्य व्यक्ति को रजिस्ट्री कर बेच देता है।
जिससे आए दिन क्षेत्र में जमीनी विवाद को लेकर रंजिस बढ़ती रहती है।
बढ़ रही रंजिश को लेकर आपस में भी जमीन को लेकर खून खराबा, हत्या, करने तक का नोबत आ जाती है।
जमीनी विवाद को लेकर कई बार देखा गया है की खून खराबा, हीं नहीं कई की हत्या,भी हो चुकी है।
ये जमीनी मामला हरिहरपट्टी पंचायत की है।
पीड़िता ने बताया की हमारी पुष्तैनी जमीन है।
जिस पर हमलोगों का घर बना हुआ है।
हमलोग बाप दादा के जमाने से रहते आ रहे हैं।
जमीन की राशिद भी कट रही है।
लेकिन कुछ असामाजिक तत्वों के व्यक्तियों द्वारा गलत तरीके से मेरे पूर्वजों का जमीन बेचकर खून खराबा होने की स्थिति उत्पन्न कर दी है।
मेरे द्वारा जमीन रजिस्ट्री पर रोक लगाने के लिए कार्यालय में आवेदन भी दिया गया था लेकिन आवेदन देने के बाद भी बिना जाँच किए हुए जमीन रजिस्ट्री कर दी गई।
वहीं जनता ने बताया की सभी को मालूम है की आए दिन जमीनी विवाद को लेकर कितना खून खराबा हत्या होती रहती है।
जबकि सरकार जमीनी विवाद को खत्म करने के लिए जनता दरबार भी लगाती है लेकिन इससे जमीनी विवाद खत्म नहीं होगा।
सरकार को कोई ऐसा ठोस कदम उठाने की जरूरत है जिससे विवाद खत्म हो।
कुछ दिन पूर्व सरकार ने एक नया कानून लाया था जो हद तक सही था।
की जिसके नाम से जमाबंदी हो वही जमीन बेच सकता है।
इस कानून से जमीनी विवाद कम हो रहा था।
वहीं जनता ने सरकार पर आरोप लगाते हुए बताया की यहां कर्मचारियों की भी कमी है।
कर्मचारियों द्वारा अलग से मुंशी रखकर कार्य किया जा रहा है जो गलत है।
रुपयों की लालच में आकर मुंशी लोग गलत तरीके से जमाबन्दी एवं खाता खेसरा को उलट फेर कर विवाद को बढ़ाते हैं।
वहीं त्रिवेणीगंज रजिस्टार से दुरभाष पर सम्पर्क कर पूछा गया की जमीन रजिस्ट्री पर रोक लगाने के आवेदन पूर्व में दिया गया था।
तो बिना स्थली जाँच किए आपके द्वारा जमीन रजिस्ट्री कर दी गई है।
तो उन्होंने बताया की मेरा काम रजिस्ट्री रोकना नहीं है।
सरकार के आदेशानुसार मेरा काम है की जमीन रजिस्ट्री के दौरान जो भी जमाबंदी का जमीन बेचा जा रहा है। उस जमाबंदी में निर्धारित सरकारी टैक्स मिल रहा है या नहीं।
यदि कोई जमीन गलत रजिस्ट्री किया है।
वो न्यायालय जाए वहां साबित करे की जमीन गलत रजिस्ट्री किया गया है।
उसका फैसला न्यायाधीश करेंगे।
हालांकि मुझे समय मिलेगा तो जाँच जरूर करेंगे।
अब देखना लाजमी होगा की बढ़ रहे जमीनी विवाद को लेकर सरकार क्या ठोस कदम उठाती है।
या फिर जनता ऐसे हीं जमीनी विवाद को लेकर सभी कार्य छोड़कर कोट कचहरी के चक्कर लगाते रहेंगे।
आए दिन जमीनी विवाद को लेकर जनता परेशान होती रहेगी।

 

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