मोदी के आत्मनिर्भर भारत की ज़िद और जान जोखिम में डालने के 10 सवाल
1 ड्रग कंट्रोलर जनरल ने आज कोवाक्सिन और कोविडशील्ड को प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर 8 मिनट में अप्रूवल दे दिया। दोनों वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल अभी हुआ नहीं। फिर भी उन्हें 110% सुरक्षित बताया गया।
2 दोनों वैक्सीन के 2 चरणों के ट्रायल के डेटा सार्वजनिक नहीं किये गए। दोनों वैक्सीन के बारे में सरकारी विशेषज्ञ समिति की बैठक के मिनिट्स भी पता नहीं।
3 खुद भारत बायोटेक ने पिछले साल दावा किया था कि उसकी कोवाक्सिन 60% प्रभावी है।
4 कोविडशील्ड लगवाने वाले एक व्यक्ति ने न्यूरोलॉजिकल दुष्प्रभावों के बाद सीरम इंस्टिट्यूट पर 5 करोड़ का दावा किया है। फिर भी DCGI इसे 110% सुरक्षित बताता है।
5 DCGI का आज का बयान यह साफ कहता है कि दोनों वैक्सीन को क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति के साथ पेश किया गया है। यह भी नए ड्रग्स एंड क्लीनिकल ट्रायल्स नियम 2019 के खिलाफ है।
6 अगर ये क्लीनिकल ट्रायल नहीं है तो इन्हें लगवाने के बाद जान जोखिम में पड़ने पर जिम्मेदारी किसकी होगी?
7 बयान में यह भी कहा गया है कि सीरम इंस्टिट्यूट की वैक्सीन को कुछ नियामक परिस्थितियों में ही लगाने की अनुमति मिली है। ये कुछ परिस्थितियां क्या हैं?
8 क्या भारत बॉयोटेक की कोवाक्सिन सीरम की वैक्सीन का बैकअप है-जैसा AIIMS के निदेशक रणदीप गुलेरिया कह चुके है? क्या इसीलिए आज के बयान में इसे जनहित में लगाने के आदेश हैं?
9 दोनों वैक्सीन के प्रतिबंधित उपयोग की इजाज़त मिली है। ये प्रतिबंधित स्थितियां क्या हैं? किसे कब वैक्सीन लगाना है, ये कैसे और कौन तय करेगा?
10 क्या मोदी सरकार कोवाक्सिन को पिछले दरवाज़े से कोविड के नए स्ट्रेन को ध्यान में रखकर पेश करना चाहती है?
बीकाऊ मीडिया से इन सवालों की उम्मीद मत करें। वे वैक्सीन के एजेंट हैं।
खुद इन सवालों के जवाब ढूढें।
ये ज़िन्दगी और मौत का मामला है।