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एक हीं जमीन पर चली दो-दो योजनाएं, एक भी नहीं हुआ सार्थक जमीन दान करना नहीं हुआ सार्थक

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एक हीं जमीन पर चली दो-दो योजनाएं, एक भी नहीं हुआ सार्थक जमीन दान करना नहीं हुआ सार्थक

बछवाड़ा, बेगूसराय:- अपनी गाढ़ी कमाई से अर्जित की गई जमीन समाजिक विकास के उद्देश्य से ग्रामीणों नें दान कर दी। मगर सरकारी अधिकारी व समाजिक विकास के ठेकेदारों नें उक्त जमीन को कमाइ का जरिया बना लिया। पर समाज को सुविधाएं तो मिली नहीं भूदान दाता की सार्थकता भी लोभियों की भेंट चढ़ गई। बताते चलें बछवाड़ा प्रखंड के चिरंजीवीपुर पंचायत के पंडित टोल में भूदान दाता नें गांव में शैक्षणिक एवं कृषि विकास के उद्देश्य से अपनी बाप-दादाओं की गाढ़ी कमाई से अर्जित की गई जमीन को चंद मिनटों में हीं दान कर दिया। वित्तीय वर्ष 2005-06 में तत्कालीन विधायक रामदेव राय के अनुशंसा पर क्रियान्वयन एजेंसी कार्यपालक अभियंता का० ग्रा० नि० का० बेगूसराय के द्वारा दो लाख रुपए की प्राकलन का मापदंड बनाकर किसान भवन का निर्माण कार्य शुरू किया गया। गांव में किसान भवन के निर्माण कार्य से स्थानीय किसानों में खुशी की लहर के साथ एक नयी आस जगी थी। कुछ दिनों बाद गांव लोगों के द्वारा देखे गए सपनों पर ग्रहण लग गया। निर्माण कार्य आज तक अधुरा पड़ा है। निर्माण एजेंसी व पेटी कांट्रेक्टर सरकारी खजाने से राशि की गोलमाल कर चंपत हो गये। उक्त अधूरा पड़ा किसान भवन आज भी उद्धारक की बाट जोह रहा है। निर्माणाधीन भवन के प्राकलन बोर्ड लिखे गए विधायक, जिला पार्षद अरविन्द चौधरी व पुर्व मुखिया भोला शर्मा का नाम स्थानीय किसानों को मुंह चिढ़ाती प्रतीत होती है। इसी भूखण्ड पर वित्तीय वर्ष 2012-13 में तत्कालीन जिला पार्षद रामोद कुंवर के अनुशंसा पर पुस्तकालय भवन का निर्माण कार्य शुरू कराया गया। क्रियान्वयन एजेंसी जिला अभियंता जिला पार्षद बेगूसराय में मापदंड बनाकर प्राकलन राशि 7 लाख 476 रूपए का प्राकलन निर्धारित कर दिया। पुस्तकालय के निर्माण शुरू होने से गांव आम लोगों सहित छात्र-नौजवानों व बुद्धिजीवियों में पुनः आशा की किरण जागृत हुई। भूदानकर्ता नें बताया कि किसान भवन नहीं बना तो कोई बात नहीं, कम-से-कम शैक्षणिक विकास तो संम्भव हो सकेगा। मगर भूदानकर्ता के लक्ष्य को जिला पार्षद भी सार्थक नहीं कर सके। अब नतीजा यह है कि विगत आठ वर्षों से पुस्तकालय भवन का निर्माण कार्य भी अधूरा पड़ा है। ग्रामीण युवा प्रशांत झा कहते हैं कि भूदान करने वाले की लाखो रुपए की जमीन भी चली गयी, सरकारी खजाने से राशि भी निकल गई और ठिकेदार व विभागीय अधिकारी इस जमीन से मलाई भी मार ले गए। मगर गांव के लोगों को करता मिला। सुशासन की आड़ में अधिकारियों व ठिकेदारों का गोरखधंधा किया जा रहा है। मगर इस खेल को हम ज्यादा दिन तक बर्दाश्त नहीं कर सकते। चुनाव के बाद अगर जिला प्रशासन के द्वारा भवन निर्माण की राशि के बंदरबांट करने वाले को सजा देते हुए भवन निर्माण की दिशा में कोई साकारात्मक पहल नहीं किया गया तो हम ग्रामीण उग्र आंदोलन करने को तैयार हैं।लोजपा के प्रखंड अध्यक्ष कारी झा, अजय झा , दिलीप झा , कुंदन झा, सोनू झा, रामप्रीत साह, सुबोध सुमित , सनातन महतो, अविनाश कुमार ,भैरव कुमार समेत सैकड़ों ग्रामीण मौजूद थे।

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