बेटी का शव नहीं, भारत जल रहा
ये हाथरस की बेटी का शव नहीं, भारत जल रहा है, भारतीयता जल रही है, मानवता जल रही है।
आप किसको बचाना चाह रहे हैं? बेटी का शव तक परिवार को नसीब नहीं हुआ, अंतिम संस्कार पुलिस को आधी रात में करना पड़ा?
ऐसे नीचतम संस्कारों से भारत विश्व गुरु बनेगा? ऐसी असंवेदनशीलता एक संत द्वारा?