सोनिया गाँधी की अध्यक्ष्ता वाले राजीव गाँधी फाउंडेशन की स्थापना 1991 और राजीव गाँधी चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना 2002 में हुई
केंद्र सरकार ने आज कहा की गाँधी परिवार से जुड़े तीन ट्रस्ट, जिसपर वित्तीय व्यवहार में हेराफेरी का आरोप है, की जांच की जाएगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस जांच में सहयोग करने के लिए अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया है।
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता के ट्विटर हैंडल ने आज ट्वीट करते हुए लिखा, “राजीव गाँधी फाउंडेशन, राजीव गाँधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गाँधी मेमोरियल ट्रस्ट की धनशोधन अधिनियम की रोकथाम, आयकर अधिनियम, और विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम के तहत जांच की जाएगी। इस जांच के लिए गृह मंत्रालय ने अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया है।”
गृह मंत्रालय ने ट्वीट करके बताया की इस जांच समिति के प्रमुख प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक होंगे।
MHA sets up inter-ministerial committee to coordinate investigations into violation of various legal provisions of PMLA, Income Tax Act, FCRA etc by Rajiv Gandhi Foundation, Rajiv Gandhi Charitable Trust & Indira Gandhi Memorial Trust.
Spl. Dir of ED will head the committee.
— Spokesperson, Ministry of Home Affairs (@PIBHomeAffairs) July 8, 2020
राजीव गाँधी फाउंडेशन की स्थापना जून 1991 और राजीव गाँधी चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना 2002 में की गयी थी जिसका अध्यक्षता कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गाँधी है।
कांग्रेस पार्टी ने किसी भी गलत काम से पूरी तरह इंकार किया है और इस जांच को सिर्फ एक राजनैतिक बदला बताया है।
पिछले महीने बीजेपी ने कांग्रेस पर ट्रस्ट के आड़ में धोखा देने का आरोप लगते हुए कहा था की जब कांग्रेस सत्ता में थी तब मनमोहन सिंह की सरकार ने प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से राजीव गाँधी फाउंडेशन को पैसे दान दिए थे।
बीजेपी पार्टी के अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा था, “प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष, जो संकट में फंसी जनता के मदद के लिए होता है, उससे कांग्रेस की सरकार के समय राजीव गाँधी फाउंडेशन में पैसे दान में दिए जा रहे थे। उस समय प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के बोर्ड में कौन बैठा था ? श्रीमती सोनिया गाँधी, जो राजीव गाँधी फाउंडेशन की अध्यक्ष है ? ये पूरी तरह से निंदनीय और नैतिकता की उपेक्षा है। ये सभी प्रक्रियाओं और पारदर्शिता के बारे में परेशान नहीं है।”
राजीव गाँधी फाउंडेशन की प्रमुख सोनिया गाँधी है और इस फाउंडेशन बोर्ड के सदस्य राहुल गाँधी, प्रियंका गाँधी वाड्रा, पी चिदंबरम और मनमोहन सिंह है।
बीजेपी ने ये भी आरोप लगाया है की 1991 में बजट पेश करते हुए उस समय के वित्त मंत्री, मनमोहन सिंह ने अपने भाषण में राजीव गाँधी फाउंडेशन को 100 करोड़ देने की घोषणा की थी।
बीजेपी ने कहा, “1991 के बजट भाषण दस्तावेज में, पेज 16 के पारा 57 में मनमोहन सिंह ने राजीव गाँधी फाउंडेशन को 100 करोड़ देने की बात कही है। हर पांच साल पे 20 करोड़।”
हालाँकि कांग्रेस पार्टी ने फाउंडेशन और ट्रस्ट पे लगे सारे आरोपों को सिरे से गलत बताया है और कहा है की केंद्र सरकार चीन के मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए ये सब कर रही है।