नेपाल ने लिया विवादास्पद फैसला, पहली बार भारतीय सीमा पर करेगा सेना की तैनाती………
अररिया/फारबिसगंज –
नेपाल और भारत के बीच चल रहे सीमा विवाद में नेपाल के तरफ से एक और विवादास्पद फैसला किया गया है. नेपाल सरकार ने नेपाल प्रवेश करने के लिए खुली सीमाओं को बंद करने और सरकार द्वारा निर्धारित सीमा क्षेत्र से ही नेपाल में एंट्री देने का फैसला किया है. भारत के साथ तनाव को देखते हुए नेपाल ने अपने सीमावर्ती क्षेत्रों में सेना की तैनाती को भी मंजूरी दी है. ऐसा पहली बार हो रहा है.
नेपाल और भारत के बीच करीब 1,700 किलोमीटर की खुली सीमाएं हैं. अभी तक नेपाल आने वाले भारतीय नागरिकों को बिना रोक-टोक अपनी सुविधा के मुताबिक इन खुली सीमाओं से एंट्री मिलती थी. नेपाल सरकार के ताजा फैसले से अब सिर्फ निर्धारित सीमा से ही नेपाल में प्रवेश करने की इजाजत मिलेगी.
जिस दिन नेपाल सरकार ने भारतीय क्षेत्रों को मिलाकर अपना नया नक्शा जारी किया था, यह निर्णय उसी दौरान लिया गया है. लेकिन सरकार ने एक हफ्ते तक इस निर्णय को छिपा कर रखा. राजपत्र में प्रकाशित करने के बाद इसे सार्वजनिक किया गया है.
सीमा विवाद को लेकर भारत से टकराव के मूड में रहे नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की कैबिनेट ने सीमा व्यवस्थापन और सुरक्षा के नाम पर सख्ती दिखाते हुए भारत से लगी 20 सीमाओं को छोड़कर बाकी सभी को बन्द करने का निर्णय किया है.भारत के साथ तनाव को देखते हुए नेपाल ने अपने सीमावर्ती क्षेत्रों में सेना की तैनाती को भी मंजूरी दे दी है. यह पहली बार है जब नेपाल-भारत सीमा पर सेना की तैनाती होने जा रही है. अब तक भारत के तरफ सीमा की निगरानी एसएसबी करती थी वहीं नेपाल की तरफ से सशस्त्र प्रहरी बल के हवाले सुरक्षा की जिम्मेदारी थी. नेपाल के हर सीमावर्ती जिलों में सैन्य बैरक होने के बावजूद सीमा की निगरानी या सुरक्षा के नाम पर सेना को बॉर्डर पर कभी नहीं भेजा गया था.नेपाल भारत के बीच बॉर्डर को नियंत्रित करना, बन्द करना और सेना की तैनाती करना दोनों देशों के बीच 1950 में हुए मैत्री संधि के खिलाफ है. नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी हमेशा से इस संधि के खिलाफ रही है. इनके चुनावी घोषणा पत्र से लेकर हर सभा सम्मेलन में आजाद भारत के साथ हुए पहले समझौते का विरोध किया जाता रहा है. कम्युनिस्ट नेताओं का एक बड़ा एजेंडा भारत के साथ रहे सांस्कृतिक, धार्मिक, पारिवारिक और राजनीतिक संबंधों को खत्म करना रहा है.
20 जगहों से ही होगी भारतीयों की एंट्री.इस निर्णय के बारे में जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय के सचिव नारायण बिडारी ने कहा कि कैबिनेट ने यह फैसला लिया है कि भारत से आने वाले लोगों को अब सिर्फ 20 सीमा गेट से ही आने की इजाजत मिलेगी. नेपाल के 22 जिलों की सीमा भारत से जुड़ी है. सरकार ने सिर्फ 20 जिलों के लिए एक-एक एंट्री प्वाइंट तय किए हैं.सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले होंगे परेशान.नेपाल सरकार के निर्णय से सबसे अधिक परेशानी सीमा क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को ही होने वाली है. व्यापार, व्यवसाय रोजगार और शादी-विवाह तक दोनों देशों के बीच सामान्य तरीके से होता है. ऐसे में नए नियमों से लोगों को परेशान होना पड़ेगा. लाखों की संख्या में लोग हर रोज सीमा आर-पार करते हैं. अब नेपाल में वैध आईडी कार्ड के साथ ही एंट्री मिलेगी.
शादी के संबंध में नेपाल ने बदली नीति- नेपाल के नए संविधान में भारतीय लड़कियों के नेपाल में शादी होने पर उन्हें राजनीतिक अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है. यह नियम लगाकर पारिवारिक रिश्तों को खत्म करने योजना बनाई गई है. नेपाल कभी पशुपतिनाथ के पुजारी को हटाने के बहाने तो कभी भारत के चारधामों और कुम्भ को न मानने के बहाने धार्मिक रिश्तों पर चोट पहुंचा रहा है. अब सीमा नियंत्रण करके जन-जन के संबंधों को खत्म करने की साजिश की जा रही है. विशेष संवाददाता -विनय ठाकुर (सीमांचल लाइव )
Home अररिया नेपाल-भारत संबंधों में बढ़ा तनाव. नए नक्शे के लिए बिल नेपाली संसद में पेश..चयनित बॉर्डर पर ही मिलेगी भारतीयों को एंट्री.
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