लॉकडाउन के चलते बैंकों के पास नकदी की किल्लत नहीं, तीन गुना ज्यादा है कैश
देश में लॉकडाउन के चलते बैंकों के पास नकदी की किल्लत बिल्कुल नहीं हैं। कारोबार से जुड़े लेन-देन बेहद कम होने के चलते शाखाओं में नकदी आम दिनों के मुकाबले तीन गुना और कुछ जगहों पर उससे भी ज्यादा मौजूदा है। वहीं बैंकों के साथ साथ एटीएम में भी नकदी डेढ़ गुना से ज्यादा बरकरार है। बैंकिंग क्षेत्र के सूत्रों ने हिन्दुस्तान को बताया है कि एटीएम को रीफिल करने की व्यवस्था भी नोटबंदी के काल के मुकाबले बहुत बेहतर है। देश के बड़े निजी बैंक एचडीएफसी से जुड़े एक अधिकारी ने बताया है कि बैंकों के 14000 एटीएम में करीब 2000 क करोड़ रुपये का कैश रहा करता था लेकिन अब ये 3000 करोड़ रुपये आस पास रखा गया है।
एटीएम में करीब 40 हजार करोड़ रुपये
आंकलन यह भी है देश के सभी एटीएम में करीब 40 हजार करोड़ रुपये के आसपास कैश रखा गया है। तकनीकी दिकक्तों के अलावा कोई भी एटीएम बंद नहीं किया जा रहा है। ऑल इंडिया बैंक एंप्लाइज एसोसिएशन के महासचिव सीएच वेंकटचालम ने हिन्दुस्तान को बताया कि आम दिनों के मुकाबले बड़ा पेमेंट लेने वालों की तादाद बैंकों में काफी घटी है ऐसे में नकदी तीन गुना से भी ज्यादा रखा है। इस नकदी का इस्तेमाल एटीएम रीफिलिंग और लोगों को उनकी जरूरत के मुताबिक रकम देने में किया जा रहा है।
आरबीआई ने बैंकों को निर्देश दिया है कि दीर्घकालिक रेपो परिचालन के तहत जुटाई गई धनराशि को 30 दिन के अंदर इस्तेमाल करे। आरबीआई चाहता है कि बैंक इस फंड का इस्तेमाल बाजार में तरलबा बढ़ाने के लिए करें न कि अपने पास नकदी रखने के लिए। आरबीआई ने बैंकों से कहा कि अगर कोई बैंक 30 दिन के अंदर दीर्घकालिक रेपो के तहत मिले फंड का इस्तेमाल नहीं करता है तो उन पर ब्याज दर पॉलिसी रेपो रेट के साथ-साथ दो फीसदी तक बढ़ जाएगी।
ईएमआई छूट की सीमा को छह महीने करने की जरूरत
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने सरकार से कॉरपोरेट लोन पर बैंकों को गारंटी देने की मांग की है। एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कुमार ने कहा कि कोरोना के संकट से निपटने में बैंकों की ओर से दिए जाने वाले कर्ज की भूमिका अहम हो सकती है। देश के सबसे बड़े बैंक के चेयरमैन कुमार ने कहा कि मौजूदा लोन पर ईएमआई छूट की सीमा को छह महीने करने की जरूरत है।
कोरोना वायरस के संकट से निपटने के लिए जारी लॉकडाउन की अवधि को और बढ़ाए जाने से बैंक लोन चुकाने में लोगों को समस्या पैदा हो सकती है।उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो समग्र स्तर पर अर्थव्यवस्था को सहयोग की जरूरत है। इसके बाद ट्रांसपोर्ट, होटल, रेस्तरां एवं अन्य सेक्टर्स को चुन-चुनकर मदद किए जाने की जरूरत है। लॉकडाउन के चलते ज्यादातर कंपनियां संकट के दौर में गुजर रही हैं और उनके पास नकदी की कमी देखने को मिल रही है। ऐसे में भविष्य में कॉरपोरेट लोन की जरूरत बढ़ सकती है। सरकार की ओर से लोन गारंटी मिलने से बैंकों को कर्ज देने में आसानी होगी।
Source :- Hindustan