जेएनयू देख रहा है अब तक का सबसे बड़ा आंदोलन
जेएनयू शुरू से ही छात्र आंदोलनों की जननी रहा है। इस परिसर से कई आंदोलन उपजे हैं, जिसकी धमक समय-समय पर देश-दुनिया में हुई है। लेकिन छात्रावास की बढ़ी हुई फीस को लेकर उपजा आंदोलन जेएनयू के अब तक के इतिहास में सबसे बड़ा आंदोलन बन गया है। इसके पृष्ठों में आंदोलन की समय सीमा से लेकर परीक्षा बहिष्कार व परिसर में हुई हिंसा जैसे निशान और घटनाएं दर्ज हो गई हैं। जो इसे अब तक से सबसे बड़े आंदोलन के रूप में रेखांकित कर रहे हैं। पिछले चार सालों में जेएनयू परिसर में हुए बड़े विवादों पर एक नजर।
नौ फरवरी को देश विरोधी नारे
स्कॉलर की जननी कहे जाने वाले जेएनयू को 9 फरवरी 2016 के बाद देशभर में एक नई पहचान मिली। इसमें आम लोगों के बीच जेएनयू देश विरोधी नारे लगाने वाले परिसर के रूप में पहचाना गया। इस दौरान कुछ छात्रों की तरफ से जेएनयू परिसर में अफजल गुरु को लेकर कार्यक्रम किया गया। इसमें कुछ नकाबपोश छात्रों ने देश विरोधी नारे लगाए। जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाए जाने के बाद पुलिस ने तत्कालीन छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को गिरफ्तार किया। इसके बाद तकरीबन एक महीने तक पूरे परिसर में अकादमिक गतिविधियां प्रभावित रहीं। अभी तक यह मामला देश-दुनिया के बीच चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
नजीब की गुमशुदगी का मामला भी चर्चा में रहा था
वर्ष 2016 में ही जेएनयू में पीएचडी के छात्र नजीब की गुमशुदगी का मामला चर्चा में आया। इसके तहत 14 अक्तूबर को कुछ छात्रों के साथ नजीब अहमद की झड़प हुई। इसके अगले दिन से नजीब परिसर में नहीं दिखा। इस मामले को लेकर एबीवीपी और वाम छात्रसंगठन आमने-सामने रहे। इस मामले की भी धमक परिसर में तीन से चार महीने तक रही, लेकिन नजीब का सुराग नहीं मिला।
प्रशासनिक भवन का सीट कटौती पर घेराव
वर्ष 2017 में जेएनयू ने एक अलग तरह का आंदोलन देखा। इसमें सीट कटौती के विरोध में बाप्सा समेत ओबीसी फोरम के छात्रों ने 30 दिन तक प्रशासनिक भवन का घेराव किया और अपने कब्जे में रखा। छात्रों का विरोध यूजीसी के उस नए नियम को लेकर था, जिसके तहत एक प्रोफेसर के अधीन पीएचडी और एमफिल करने वाले छात्रों की संख्या सीमित कर दी गई।
ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा को लेकर भूख हड़ताल
वर्ष 2018 में ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा के खिलाफ छात्र आंदोलित हुए थे। छात्रों ने ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा को एक घोटाला बताते हुए विरोध किया। वहीं, विश्वविद्यालय परिसर में कई प्रदर्शन व मार्च आयोजित हुए। छात्रों ने प्रशासन पर इस घोटाले को अंजाम देने का आरोप और ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा के फैसले को वापस लेने को लेकर परिसर में 10 दिन तक भूख हड़ताल भी की।
कक्षा-परीक्षा बहिष्कार
छात्रावास की बढ़ी फीस और नई नियमावली को लेकर छात्रसंघ के बैनर तले छात्र पिछले 70 दिनों से आंदोलित हैं। इसमें 29 अक्टूबर 2019 से शुरू हुए इस आंदोलन में छह जनवरी 2020 तक कई बड़ी घटनाएं दर्ज हो गई हैं। इसमें बैठक में हंगामा और डीन ऑफ स्टूडेंट वेलफेयर का बीमार पड़ जाना, कक्षा में आंदोलित छात्रों की तरफ से सहायक डीन स्टूडेंट वेलफेयर को 24 से अधिक घंटे तक बंदी बनाना, परीक्षाओं का बहिष्कार, विश्वविद्याल, सर्वर रूम पर छात्रों का कब्जा आदि प्रमुख बातें रहीं।
नकाबपोश का हमला : रविवार (5 जनवरी) को नकाबपोश के हमले के कारण यहां की स्थिति बिगड़ गई। शिक्षक संघ के पूर्व महासचिव विक्रमादित्य चौधरी कहते हैं कि उनकी स्मृति में ऐसा कोई भी वाकया नहीं हैं, जब इतने लंबे समय से अकादमिक बहिष्कार हुआ हो।
Source-HINDUSTAN